हिमखबर डेस्क
पौंग झील में 16 जून से लेकर 15 अगस्त तक मत्स्य आखेट पर प्रतिबंध के चलते मछुआरे आज रविवार को अपने जाल समेट कर घरों को ले आए तथा किश्तियों को सूखी जगह पर बांध कर घर को वापस आ गए। अब दो माह तक झील में बीरानी छाई रहेगी।
पौंग झील किनारे मछली के अवैध शिकार को रोकने के लिए विभागीय टीमों ने तंबू गाड़ दिए हैं। मत्स्य विभाग की टीमों द्वारा अब झील में कड़ी निगरानी रखी जाएगी। अब दो माह तक पौंग झील की मछली का स्वाद चखने को नहीं मिलेगा।
मत्स्य विभाग द्वारा इस बार पौंग झील में कतला, राहु, मृगल, कॉमनकार्प, ग्रासकार्प प्रजाति का 80लाख बीज डालने का लक्ष्य रखा गया है।
मछली प्रजनन सीजन होने के चलते दो माह तक झील में मत्स्य आखेट पर प्रतिबंध रहता है तथा इन दो माह में मछलियों को पनपने का भी समय मिल जाता है। झील सहित खड्डों-नालों में भी मत्स्य विभाग की टीमों द्वारा चैकिंग की जाएगी।
मत्स्य निदेशक विवेक चंदेल के बोल
मत्स्य निदेशक विवेक चंदेल ने कहा कि 16 जून से 15 अगस्त तक झील में मत्स्य आखेट पर पूर्णतया प्रतिबंध लग गया है। उन्होंने कहा झील में नजर रखने के लिए 17 टीमों द्वारा तंबू गाड़ दिए गए हैं। एक फ्लाइंग स्कवायड भी गठित किया गया है। उन्होंने कहा कि अगर बन्द सीजन में कोई मछली पकड़ता पाया गया तो उसको जुर्माना किया जाएगा।