बनीखेत/ चम्बा – भूषण गुरूंग
आज स्थानीय निरंकारी सत्संग भवन बनीखेत में साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया जिसमें अमृतसर पंजाब से प्रचार दूर प्रोगाम पर आए हुए महात्मा अमित भाटिया जी ने सत्य का संदेश देते हुए कहा कि दुनिया इक सफर है, बन्दे तेरा कहां ठीकाना है, कहे हरदेव कहां से आया, कहां पे तुझको जाना है।
मनुष्य जीवन का यही एक महत्वपूर्ण सवाल है कि सफर तो हर कोई कर रहा है अपने जीवन में लेकिन पता ही नही कि जाना कहां पर है ठीकना कौन सा है इस सवाल का जवाब केवल और मात्र सतगुरु के चरणों में आकर मिलता है क्योंकि जब सतगुरु कृपा करके बह्मज्ञान प्रदान कर देता है आत्मा को परमात्मा से मिला देता है।
निराकार प्रभु का दीदार करवा देता है तो यह बात समझ आ जाती है कि कहां से आया है मनुष्य जीवन का एक मात्र लक्ष्य है प्रभु परमात्मा की प्राप्ति करना जो निरंकार-प्रभु जो कण-कण में बसा है, बेरंगा है, इसको जानकर, इसके एहसास में हर पल रहते हुए सहज जीवन जीना सम्भव है।
निरंकार को मन की गहराइयों में बसाने से वैर, ईर्ष्या, नफरत और अहंकार जैसे अन्य दुर्गुण भी समाप्त होते जायेंगे। फिर मन में प्रेम, सुकून, समदृष्टि व अपनत्व जैसे मानवीय गुणों का समावेश होता जायेगा, जिससे हमारा जीवन एक मुकम्मल जीवन बन सकता है।
भाटिया ने कहा कि एकत्व में सुकून है, यह एकत्व, यह रिश्ता परमात्मा और आत्मा का, जब आत्मा को पता चल जाता है कि असली रूप क्या है? शरीर में आत्मा है, परन्तु शरीर इसकी असली पहचान नहीं है, यह परमात्मा का ही रूप है, यही असल पहचान है।
इस अवसर छतीसगड, पंजाव व स्थानीय सन्त महात्माओं ने भजन विचार कविता के माध्यम से कण कण में व्याप्त निराकार का गुणगान किया।