टीकाकरण के बाद 75 दिन के जुड़वां भाई-बहन में से एक की मौत, दूसरा उपचाराधीन
संगड़ाह/सिरमौर – नरेश कुमार राधे
हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला के संगड़ाह स्वास्थ्य खंड से एक हृदय विदारक घटना सामने आई है। यहां जुड़वा शिशुओं की राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत टीका लगने के बाद अचानक तबीयत बिगड़ गई। जुड़वां भाई-बहन में से एक ने नाहन मेडिकल मेडिकल कॉलेज पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया। जबकि दूसरे बेटे अनुराग का इलाज चल रहा है।
घटना खुड़ द्राबिल स्वास्थ्य केंद्र की है, जहां सोमवार को नवजातों शिशुओं का टीकाकरण किया गया था। दुखद बात यह है कि माता-पिता बच्चे के अंतिम संस्कार में भी नहीं जा सके। बच्चे के पिता का भाई नन्ही बच्ची को घर ले गया, जहां उसका अंतिम संस्कार किया गया। माता -पिता के नवजात बेटे की देखभाल के लिए नाहन में ही रुकना पड़ा।
जानकारी के अनुसार द्राबिल गांव की एक महिला ने 5 सितंबर को जुड़वां बच्चों (एक लड़का और एक लड़की) को जन्म दिया था। यह संतान उनके लिए 9-10 साल के लंबे इंतजार के बाद खुशी लेकर आई थी। परिवार बच्चों के जन्म से बेहद खुश था। अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद महिला अपने नवजात बच्चों के साथ गांव लौट गई।
सोमवार को स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार बच्चों को टीकाकरण के लिए खुड़ द्राबिल स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। बच्चों के पिता जीत सिंह ने स्वास्थ्य कर्मियों को बताया था कि बच्चों का नाहन में 7 नवंबर को टीककरण किया गया था। टीका लगने के चंद घंटो के बच्चों की हालत बिगड़ने लगी, जिसे आनन-फानन में नाहन मेडिकल कॉलेज लाया गया।
लेकिन यहां पहुंचने से पहली बच्ची ने दम तोड़ दिया। घटना की जानकारी मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। मृत शिशु का पोस्टमार्टम मंगलवार को नाहन मेडिकल कॉलेज में करवाया गया। टीके के सैंपल और उसके बैच से संबंधित जानकारी भी इकट्ठी की जा रही है।
बच्चों के पिता जीत सिंह के बोल
बच्चों के पिता जीत सिंह ने बताया कि 10 साल के लंबे इंतजार के बाद संतान हुई थी। जन्म के बाद वह दो बार बच्चों को शिमला में भी दिखा चुका था। पिता ने बताया कि वह 7 सितंबर को नाहन में टीकाकरण करवाया था। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें दोबारा टीकाकरण के लिए बुलाया।
उन्होंने स्टाफ को बताया कि टीका लग चुका है, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई और बच्चे को टीका लगाया गया। टीका लगाने के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ गई। आनन-फानन में बच्चों को नाहन लाया गया, जहां बच्ची की मौत हो गई।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अजय पाठक के बोल
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अजय पाठक ने बताया कि घटना की जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि 11 बच्चों को टीका लगाया गया था, जिसमें एक की मौत हो गई और दूसरा बच्चा अस्पताल में दाखिल है। डॉ. पाठक ने बताया कि इस तरह के मामलों के लिए एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) बनी हुई है। विशेषज्ञों की एक समिति गठित की गई है, जिसमें वह खुद अध्यक्षता करेंगे। समिति की रिपोर्ट के बाद ही मौत के कारणों का पता चल पाएगा।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के बोल
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि टीकाकरण के दौरान इस्तेमाल किए गए टीके और उनकी बैच के सैंपल एकत्र कर जांच के लिए भेजे गए हैं। इस मामले में रिपोर्ट मिलने के बाद ही स्थिति साफ हो सकेगी। घटना से क्षेत्र में दहशत का माहौल है। जुड़वां बच्चों के माता -पिता और परिवार सदमे में हैं।
स्थानीय लोगों के बोल
स्थानीय लोगों ने स्वास्थ्य विभाग से सख्त जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट और विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट आने के बाद मौत के असल कारणों का खुलासा हो पाएगा।
टीकाकरण के दौरान एएनएम की SOP…
सिरमौर जिले के संगड़ाह स्वास्थ्य खंड में जुड़वां शिशुओं के टीकाकरण के बाद एक बच्चे की मौत ने स्वास्थ्य विभाग को सतर्क कर दिया है। इस घटना ने टीकाकरण की मानक संचालन प्रक्रियापर ध्यान आकर्षित किया है। टीकाकरण के लिए एसओपी में टीकों की जांच, कोल्ड चेन मेंटेनेंस और सही तरीके से टीका लगाने की प्रक्रिया शामिल है। टीका लगाने से पहले वैक्सीन की एक्सपायरी डेट और बैच नंबर की जांच करना अनिवार्य है। इसके बाद बच्चे को सही डोज और उचित स्थान (जैसे जांघ या बांह) में टीका लगाया जाता है।
टीकाकरण के बाद बच्चों को 30 मिनट तक निगरानी में रखना जरूरी होता है, ताकि किसी भी दुष्प्रभाव की स्थिति में प्राथमिक उपचार दिया जा सके। किसी भी आकस्मिक प्रतिक्रिया की सूचना तुरंत उच्च अधिकारियों को देना एसओपी का हिस्सा है। इसके अलावा, एएनएम को नियमित रिकॉर्ड मेंटेन करना, समुदाय में स्वास्थ्य जागरूकता फैलाना और जरूरत पड़ने पर मरीजों को उच्च चिकित्सा केंद्र रेफर करना होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि एसओपी का सख्ती से पालन किसी भी अप्रिय घटना को रोकने में मदद कर सकता है।