मंडी – अजय सूर्या
देव समागम मंडी में सदियों पुरानी परंपरा को आज भी निभाया जा रहा है।
छह देवियां बगलामुखी, श्री देवी बूढ़ी भैरवा पंडोह, श्री देवी काश्मीरी माता, श्री धूमावती मां पंडोह, देवी बुशाई माता राज माता कहनवाल व रूपेश्वरी राजमाता न जलेब में शिरकत करती है और न ही पड्डल मैदान में होने वाले देव समागम का हिस्सा बनती है।
बता दें शिवरात्रि मेले के दौरान एक सप्ताह ये सभी देवियां राजमहल में रानियों के निवास स्थान रूपेश्वरी बेहड़े में घुंघट में वास करती हैं।
रियासतकाल से चली आ रही देव समागम शिवरात्रि में रानियों से सखी प्रेम को नरोल देवियां आज भी निभा रही हैं।
श्री बगलामुखी देवी के पुजारी गिरधारी ने कहा कि छह देवियां रानियों की तरह घुंघट डालकर राजमहल में एकांत वास करती हैं और राजमहल में ही रानियों के बेहड़े में वास कर देवियां रानियों से सखियों की तरह बातें करती थीं।
उन्होंने कहा कि यह देवियां राजाओं की रियासतें नहीं रहीं लेकिन देवियां महोत्सव में छोटी काशी मंडी में आती हैं लेकिन मेले में शिरकत करने की बजाए रूपेश्वरी बेहड़े में घुंघट में ही विराजमान रहती हैं जहां भक्त उनके दर्शनो के लिए काफी संख्या में पहुंचते हैं।