शिमला – नितिश पठानियां
आपको चिट्टे की लत है तो घबराएं नहीं। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) शिमला आएं और 15 दिन में इस लत को छुड़वाएं। नशे के आदी को 15 दिन का कोर्स करना होगा। इलाज निशुल्क होगा। पहले सात दिन में चिट्टे के आदी मरीज के शरीर से उस केमिकल को जड़ से खत्म किया जाएगा, जिससे चिट्टे की तलब महसूस होती है। इसके अगले सात दिन दवाइयों और इंजेक्शन से इलाज होगा।
आईजीएमसी में बुधवार और शनिवार को चिट्टे के पीड़ितों के लिए विशेष ओपीडी शुरू की गई है। सुबह 9:30 से शाम 4:00 बजे तक उपचार किया जा रहा है। चिट्टे की गिरफ्त में छोटी उम्र के बच्चे भी आ रहे हैं। अधेड़ भी चिट्टा ले रहे हैं। नाबालिग शौक-शौक में ही पार्टियों में चिट्टा ले लेते हैं। इसके बाद इसके आदी बनते जाते हैं।
महिलाएं और युवतियां भी चिट्टे की गिरफ्त में हैं। नशे के आदी दो से तीन लोग रोजाना इलाज के लिए अस्पताल आ रहे हैं। आईजीएमसी के मनोचिकित्सक विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रवि शर्मा ने कहा कि ऐसे लोगों के इलाज के लिए परिवार खुद आगे आएं। इलाज से घबराएं नहीं, जिंदगी पहले की तरह हो जाएगी।
चिट्टा न लेने पर पीड़ित के लक्षण
चिट्टा न लेने पर पीड़ित के पेट और टांगों में दर्द, नाक से पानी निकलना, आंखों की पुतलियों में फर्क आना जैसे लक्षण आते हैं। हालांकि, 15 दिन के मेडिकल कोर्स के बाद धीरे-धीरे यह लक्षण गायब होने लगते हैं और स्वास्थ्य में सुधार आना शुरू हो जाता है।
बच्चा करता है नशा या नहीं, ऐसे करें पता
चिकित्सकों का कहना है कि अभिभावक अपने 12 से 18 साल के बच्चों का विशेष ख्याल रखें। रूटीन में अपने बच्चे का यूरिन ड्रग स्क्रीन किट से टेस्ट करवाएं। बाजार में यह किट 100 से 200 रुपये के बीच उपलब्ध है। इसके इस्तेमाल से घर में ही पता चल जाएगा कि आप का बच्चा बुरी संगत में फंसकर नशे का आदी हो रहा है या फिर नशे की गिरफ्त से दूर है।