प्रदेश सरकार गोविंद सागर झील को बेच के मछुआरों के हितों के साथ कर रही खिलवाड़- राम लाल ठाकुर
बिलासपुर- सुभाष चंदेल
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य, पूर्व मंत्री व विधायक श्री नयना देवी जी राम लाल ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने गोविंद सागर झील बेचने की तैयारी कर दी है। इसकी ई- टेंडरिंग की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है, जो कि बिल्कुल भी बर्दास्त नहीं की जाएगी। यह बिलासपुर और गोविंद सागर के मछुआरों के पेट पर लात मारने के सिवा और कुछ नहीं है।
इस गोविंद सागर झील की ई टेंडरिंग से साफ जाहिर होता है कि गोविंद सागर में मत्स्य आखेट करके करीब 4000 हज़ार लोग अपना जीवन यापन करते है और उनके करीब 15000 हज़ार के करीब आश्रित लोंगो जीवन यापन के साधन मिलते है। अब जब प्रदेश सरकार इस झील को बेचने की तैयारी कर ली वह बिल्कुल भी उचित नहीं है। इस सारे सौदे में किसी एक कम्पनी को झील की ठेकेदारी मिलनी तय है जिसके कारण हमारे करीब मछुआरों 4000 को रोजगार के लाले पड़ जाएंगे और बहुत से लोग बेरोजगारी के कगार पर खड़े हो जाएंगे।
राम लाल ठाकुर ने प्रदेश सरकार ने आरोप लगाया है कि पिछले 4 वर्षों में डैड बीज गोविंद सागर में डाला जा रहा है और विभागीय दलाली फिशिंग के बीजों में बड़े पैमाने पर हो रही है इसकी भी उच्च स्तरीय जांच करवाई जानी चाही। प्रदेश सरकार के मत्स्य मंत्री को बताना चाहिए कि कहाँ बीज लाया गया और और कितना बीज और किस किस्म का बीज डाला गया है।

मंत्री जी को यह भी बताना चाहिए गोविंद सागर झील में फिश का उत्पादन के घटने के क्या कारण है। राम लाल ठाकुर ने संदेह व्यक्त करते हुए प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि डैड बीज झील में डालना, मत्स्य उत्पादन का कम होना कहीं झील को निजी हाथों में बेचने के लिए पहली प्रक्रिया तो नहीं है।
जबकि दूसरी तरह प्रदेश सरकार झील में मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार साइंटिफिक स्टडी की बात कर रही है जबकि यह साइंटिफिक स्टडी केवल निजी हाथों में झील को बेचने के लिए करवाई जा रही है। जबकि सरकारी दावों के अनुसार इस बार भी 70 एमएम से लेकर 100 एमएम साइज का मछली बीज डाला गया है यदि वह बीज डैड नहीं था तो क्यों इस झील में मत्स्य उत्पादन घट रहा है।
अब तो हालात यह हो चलें है कि बिलासपुर के फिशर मैन अन्य राज्यों में अपना पेट पालने के फिशरी का ठेका ले रहे है जो कि दुर्भाग्य है। वैसे इस झील का क्षेत्रफल 100 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा है और पूर्व में भाजपा की धूमल सरकार ने सेंचुरी एरिया भी घोषित किया था जोकि माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेशों के बाद रद्द करवाया गया था।
इस झील के सभी आश्रित भाखड़ा बांध विस्थापित हैं और इस झील पर उनका अधिकार प्राथमिकता के तौर पर दर्ज भी है और यह झील बिलासपुर वासियों की कुर्बानियों से बनी है तो ऐसे में इस झील को निजी हाथों में बेचना बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण होगा। कांग्रेस पार्टी को इस झील और इस झील पर आश्रित परिवारों को बचाने के लिए जो भी संघर्ष का रास्ता अपनाना पड़ेगा उससे भी हम पीछे नहीं हटेंगे।

