गूगल मैप के भरोसे परिवार की कार नदी में बह गई, स्थानीय लोगों ने परिवार को सुरक्षित बचाया, दभोटा पुल दो साल से टूटा, सरकारें जिम्मेदारी नहीं ले रहीं।
ऊना – अमित शर्मा
हिमाचल प्रदेश में एग्जाम देने जा रहे बच्चों को गूगल मैप का सहारा लेना भारी पड़ गया। यहां से एक डराने वाली घटना सामने आई। गूगल मैप के भरोसे हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के नालागढ़ का परिवार बेटी को एग्जाम दिलाने ले जा रहा था हालांकि, गूगल मैप के चलते इन्होंने जो रास्ता अपनाया वो उनके लिए मुसीबत बन गया। फिलहाल, घटना के बाद दभोटा पुलिस चौकी में मामला दर्ज किया गया है।
दरअसल, नालागढ़ की रहने वाली छात्रा को ऊना में एक महत्वपूर्ण परीक्षा में शामिल होना था। परिवार ने नालागढ़ से पंजाब के भरतगढ़ और फिर कीरतपुर होते हुए ऊना पहुंचना था, लेकिन गूगल मैप ने उन्हें नालागढ़ में ही दभोटा पुल के रास्ते पर ले गया, जो कि दो साल पहले ही पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है।
जैसे ही उनकी कार नदी के पास पहुंची तो तेज बहाव में बुरी तरह फंस गई और कई किलोमीटर तक पानी के साथ बहती रही। फिर स्थानीय लोगों ने तत्परता और साहस दिखाते हुए सभी को सुरक्षित निकाल लिया। गनीमत रही कि परिवार को केवल हल्की चोटें लगीं। स्थानीय लोगों ने लाखों रुपये का नुकसान होने की बात कही है।
स्थानीय निवासी शालिग राम के बोल
स्थानीय निवासी शालिग राम ने बताया कि टूटे दभोटा पुल के कारण लोग अब बोदला मार्ग का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो एक संकरा लिंक रोड है। इस मार्ग पर बना छोटा पुल भी भारी वाहनों के दबाव को सहन नहीं कर पा रहा।
पूर्व सैनिक विक्की फौजी के बोल
दभोटा गांव के निवासी और पूर्व सैनिक विक्की फौजी ने इस मामले में दोनों राज्यों की सरकारों पर गंभीर सवाल उठाए।उन्होंने बताया कि 2023 की बाढ़ में यह पुल पूरी तरह नष्ट हो गया था। प्रशासन ने एक वैकल्पिक पुल बनाया था, लेकिन वह भी पहली बारिश में ही बह गया। इसके बाद हाल ही में नए पुल का निर्माण कार्य शुरू हुआ, लेकिन बारिश के कारण वह भी अधूरा रह गया, और अब केवल कुछ सरिए और खंभे ही नजर आ रहे हैं।
विक्की ने कहा, “यह पुल हिमाचल और पंजाब को जोड़ने वाला एकमात्र प्रमुख मार्ग है, जहां से रोजाना हजारों वाहन गुजरते हैं। औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण यह ट्रांसपोर्टरों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन सरकारों की लापरवाही के कारण लोग अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार कर रहे हैं।
दभोटा पंचायत प्रधान के बोल
दभोटा पंचायत के प्रधान ने इस घटना पर गहरा रोष जताते हुए बताया कि गूगल मैप टूटे हुए दभोटा पुल को वैध मार्ग के रूप में दिखा रहा है, जिसके कारण आए दिन लोग इस खतरनाक रास्ते पर फंस रहे हैं। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि इस मार्ग पर साइनबोर्ड और बैरिकेड्स लगाए जाएं, ताकि लोगों को स्पष्ट रूप से पता चले कि यह रास्ता बंद है। उन्होंने लोगों से अपील की कि गूगल मैप पर भरोसा करने के बजाय बोदला मार्ग का इस्तेमाल करें, क्योंकि दभोटा पुल पूरी तरह असुरक्षित है।
पंचायत उपप्रधान जगतार जग्गी के बोल
पंचायत के उपप्रधान जगतार जग्गी ने भी सरकारों की उदासीनता पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि दो साल में करोड़ों रुपये टैक्स वसूलने के बावजूद न तो हिमाचल की कांग्रेस सरकार और न ही पंजाब सरकार ने इस पुल को बनाने की जिम्मेदारी ली। दोनों सरकारें एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रही हैं, जबकि जनता हर दिन परेशान हो रही है।
जग्गी ने बताया कि यह पुल न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि ट्रांसपोर्टरों के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो नालागढ़ के औद्योगिक क्षेत्र से माल लाने-ले जाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। बारिश के मौसम में नदी का उफान और टूटा पुल जानलेवा जोखिम पैदा कर रहा है।