व्यूरो, रिपोर्ट
छोटे छोटे बच्चे जिंदगी की गाड़ी को खींचने में पुरुषों के साथ कंधा मिलाने को दिहाड़ी लगाने साथ जाती महिलाएं रहने के लिए साथ उठाया तामझाम जिसे देखकर बस वाले बिठाते नहीं और टैक्सी में जाने के लिए जेब में पैसा नहीं। आज हम आपके समक्ष मजदूर वर्ग की कुछ ऐसी ही कहानी बयां करेंगे जिसमें हम बताएंगे कि कोरोना ने गरीबों की जिंदगी में और क्या क्या साइड इफेक्टस लाए हैं।
कोरोना क्या आई गवा… हमरा तो जीना ही मुश्किल हुई गबा….
यह कहना है इस गरीब मजदूर महिला का। असल में दिहाड़ी लगाकर चार पैसे कमाने की आस में यह मजदूर परिवार यू पी के मुरादाबाद से हमीरपुर के लदरौर जा रहा था लेकिन गचागच भरे मालवाहक वाहन में सोशल डिस्टेंसिंग न होने से हिमाचल के प्रवेश द्वार स्वारघाट में पुलिस ने इन्हें रोक लिया।
अब यहां पर हिमाचल पुलिस अपने काम के प्रति सचेत रहने के साथ ही कितनी अनुशासनप्रिय है इसकी भी बानगी देखने को मिली।मजदूरों का कहना है कि यू पी के मुरादाबाद से आते हुए उन्होंने पहले हरियाणा फिर पंजाब राज्य के नाकों को पार किया और उन्हें किसी ने नहीं पूछा लेकिन हिमाचल में प्रवेश करते ही पुलिस ने नियमों का पाठ पढ़ाते हुए उन्हें चालान थमा दिया।