कोटशेरा कॉलेज में 43 प्रतिभागियों ने ली अंगदान करने की शपथ

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स्काउट एंड गाइड के 150 प्रतिभागियों ने लिया कार्यक्रम में हिस्सा, सोटो की ओर से आयोजित जागरूकता शिविर हुआ आयोजित

शिमला – नितिश पठानियां

शिमला के कोटशेरा कॉलेज में स्टेट ऑर्गेन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (सोटो) की ओर से अंगदान के विषय पर  जागरुकता कार्यक्रम आयोजित हुआ।  इसमें  भारत स्काउट एंड गाइड के तहत चल रहे कैंप के 43 प्रतिभागियों ने  अंगदान की शपथ ली।

वही 150 प्रतिभागियों ने अंगदान के बारे में जानकारी हासिल की। सोटो की आईईसी व मीडिया कंसलटेंट रामेश्वरी और ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर नरेश कुमार ने प्रतिभागियों को अंगदान के महत्व के विषय में जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति का जीवन बचाने के लिए डॉक्टर होना ही जरूरी नहीं है बल्कि लोग मृत्यु के बाद भी अपने अंगदान करके  जरूरतमंद का जीवन बचा सकते हैं।

अंगदान करने वाला व्यक्ति ऑर्गन के जरिए 8 लोगों का जीवन बचा सकत सकता हैं। उन्होंने बताया कि गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों और दुर्घटनाग्रस्त मरीजों के ब्रेन डेड होने के बाद यह प्रक्रिया अपनाई जा सकती है।

अस्पताल में मरीज को निगरानी में रखा जाता है और विशेष कमेटी मरीज को ब्रेन डेड घोषित करती है। मृतक  के अंग लेने के लिए पारिवारिक जनों की सहमति बेहद जरूरी रहती है।

उन्होंने बताया कि देश भर में प्रतिदिन 6000 मरीज समय पर ऑर्गन ना मिलने के कारण मरते हैं जोकि  बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। लोगों में भ्रांति रहती है कि अंगदान करने के बाद अंगों को बेच दिया जाता है या फिर तस्करी की जाती है।

ट्रांसप्लांट ऑफ ह्यूमन एक्ट 1994 जीवित दाता एवं ब्रेन डेड डोनर को अंगदान करने की स्वीकृति प्रदान करता है। यह अधिनियम चिकित्सीय प्रयोजनों के लिए अंगों को निकालने, भंडारण करने और प्रत्यारोपण को नियंत्रित कर मानव अंगों को तस्करी से बचाता है। कोई भी व्यक्ति अंग को खरीद या बेच नहीं सकते हैं।

उन्होंने प्रतिभागियों से अपील करते हुए कहा कि सोटो हिमाचल की इस मुहिम को आगे बढ़ाने में सहयोग करें ताकि जरूरतमंद मरीजों का जीवन समय रहते बचाया जा सके। अंगदान करने के लिए लोग अपनी इच्छा जाहिर करें और अपने रिश्तेदारों को भी इस पुनीत कार्य में जोड़ें।

उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भारत स्काउट एंड गाइड के प्रतिभागी अंगदान के प्रति फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन हिमाचल प्रदेश के अभियान में उत्कृष्ट भूमिका अदा कर सकते हैं।

क्या है ब्रेन स्टेम डेथ

ब्रेन जीवन को बनाए रखने के लिए मस्तिष्क का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ब्रेनडेड व्यक्ति स्वयं सांस नहीं ले सकता सांस लेने के लिए वह वेंटिलेटर पर निर्भर होता है हालांकि उसकी नब्ज, रक्तचाप व जीवन के अन्य लक्षण महसूस किए जा सकते हैं।

ब्रेन का कार्य ना करना मृत्यु का लक्षण है, मस्तिष्क में क्षति पहुंचने का कारण ऐसी स्थिति होती है। इस प्रकार के रोगी को ब्रेन डेड घोषित किया जाता है। कोमा रोगियों और ब्रेन डेड रोगियों के बीच अंतर है।

कोमा में मरीज मृत नहीं होता जबकि ब्रेनडेड व्यक्ति की स्थिति इससे अलग है। इसमें व्यक्ति चेतना और सांस लेने की क्षमता हासिल नहीं कर पाता है।

ह्रदय कुछ घंटों या  कुछ दिनों के लिए वेंटिलेटर की वजह से कार्य कर सकता है । इस अवधि के दौरान करीबी रिश्तेदारों की सहमति से अंग लिए जा सकते हैं।

ये रहे उपस्थित

इस दौरान भारत स्काउट एंड गाइड के  लीडर ऑफ कैंप आशीष कुमार, स्टेट  हेड क्वार्टर प्रतिनिधि  रोहित ठाकुर , रोवर स्काउट लीडर भीमसेन और डिस्टिक ज्वाइंट सेक्रेट्री रेणुका गुप्ता मौजूद रही।

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