कैप्टन दल बहादुर को बकलोह के गोरखा समुदाय के लोगो ने दी श्रधांजलि दी

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चम्बा, भूषण गुरूंग 

तुमको ना भूल पाएंगे :-

दिनांक 4 मार्च भारत स्वतंत्रता के ‘शहीद कैप्टन दल बहादुर थापा जी (आजाद हिंद फौज)’ के जन्मदिवस पर शत शत नमन एंव विनम्र श्रधांजलि । । ।

देश की आजादी में उनके अमूल्य बलिदान को हम भूला नही सकते। देश की आजादी के लिये प्राणों की आहुति देने वाले अनेक वीरों में शहीद कैप्टन दल बहादुर थापा का नाम देहरादून के रण बाकुरो में अत्यंत आदर के साथ लिया जाता है। इनका जन्म 4 मार्च 1907 को बड़कोट गांव, कांगड़ा में हुआ था। 7वी कक्षा पास करने के बाद यह गोर्खा राइफल में भर्ती हो गये। इन्होने अपनी कर्मभूमि देहरादून को बनाया सेना में यह जे0ओ0सी0 हो गये।

द्वितीय महायुद्ध के दौरान ये मलाया में जापानियों के विरुद्ध लड़े 23 अगस्त 1941 को जापानियों ने इन्हे युद्धबंदी बना लिया। बंदी जीवन में ही इनका परिचय नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से हुआ, उनकी प्रेरणा से ये जापानियों के कैद से छूटकर 1942 में आजाद हिंद फौज में भर्ती हो गये। आजाद हिंद फौज की एक टुकड़ी का नेतृत्व करते हुये ये बर्मा कोहिमा सीमा पर वीरता से लड़े । दुर्भाग्य से 28 जून 1944 को अंग्रेजो ने इन्हें युद्धबंदी बना लिया।

सैनिक अदालत ने इन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया और मृत्य दण्ड दिया। 03 मई 1945 को दिल्ली के केन्द्रीय कारागार में इन्हें फांसी दे दी गई। अदम्य साहस एवं कार्य को देखते हुये नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने कैप्टन पद से सम्मानित किया था। भारत सरकार द्वारा प्रकाशित “हू इज हू इंडियन मारटायर्स” के पृष्ठ संख्या 362 पर यह टिप्पणी अंकित है ।

आज इनके जन्मदिवस पर कोटि कोटि नमन ।

जय हिंद जय गोर्खा। । । ।

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