शिमला – नितिश पठानियां
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कांगड़ा जिले की पंचायत समिति नगरोटा सूरियां के परिसीमन से जुड़ी पंचायती राज विभाग की तरफ से जारी अधिसूचना पर रोक लगा दी है। राज्य सरकार के पंचायती राज विभाग ने 10 जून को ये अधिसूचना जारी की थी।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता संजय महाजन की तरफ से दाखिल की गई याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद अधिसूचना पर रोक लगा दी।
मामले में हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पाया कि पंचायत समिति नगरोटा सूरियां के संबंध में परिसीमन हिमाचल प्रदेश पंचायती राज (चुनाव) नियम, 1994 के नियम-8 के अनुसार किया गया था। फिर उसके बाद पंचायत समिति नगरोटा सूरियां के परिसीमन का अंतिम प्रकाशन 30 मई 2025 को किया गया था।
हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान की अगुवाई वाली खंडपीठ ने इस बारे में 10 जून 2025 की अधिसूचना का अवलोकन करने पर प्रथम दृष्टया ये पाया कि पंचायती राज विभाग उक्त पंचायत समिति का नए सिरे से परिसीमन करने जा रहा है।
हाईकोर्ट ने कहा कि एक बार जब पंचायत समिति नगरोटा सूरियां का परिसीमन अंतिम रूप से प्रकाशित हो चुका है तो फिर पंचायती राज विभाग इस पंचायत समिति के लिए परिसीमन की प्रक्रिया फिर से शुरू नहीं कर सकती। ऐसे में अदालत ने पाया कि प्रथम दृष्टया प्रतिवादियों की तरफ से अब किया जा रहा यह अभ्यास कानून में दर्ज प्रावधानों के विपरीत है।
पूरे मामले के अवलोकन के बाद हाईकोर्ट ने 10 जून 2025 की परिसीमन से जुड़ी अधिसूचना के क्रियान्वयन पर अगली सुनवाई तक रोक लगाने का आदेश जारी किया है। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने अब इस मामले की सुनवाई आगामी 5 अगस्त को निर्धारित की है।