बैजनाथ- बर्फू
ऐतिहासिक शिव मंदिर बैजनाथ में पंचभीष्म के दौरान बैकुंठ चौदस को हर वर्ष होने वाली अखरोट की बारिश का आयोजन बुधवार देर शाम को किया गया। वर्षों से चली आ रही इस परंपरा के तहत मंदिर के गुंबद से 10 हजार से अधिक अखरोटों की बारिश की गई।
सैंकड़ों शिव भक्त इन अखरोटों को बटोर कर इसे भगवान द्वारा दिए गए प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। मंदिर में रोजाना होने वाली आरती के उपरांत अखरोटों की बारिश की गई। इससे पूर्व मंदिर के भगवान विष्णु व तुलसी की पूजा-अर्चना की गई।
मंदिर सहायक आयुक्त डाॅ. भावना वर्मा ने कहा कि परंपरा अनुसार मंदिर में अखरोटों की बारिश की गई जोकि पूर्व ट्रस्टी घनश्याम अवस्थी की ओर से मंदिर में दिए गए। उन्होंने कहा कि मंदिर में आने वाले सभी श्रद्धालुओं को कोविड एस.ओ.पी. की पालना के निर्देश भी दिए गए।
यह है मान्यता
पुजारी सुरेंद्र आचार्य के अनुसार मान्यता है कि शंखासुर नाम के राक्षस ने देवताओं से राजपाठ छीन लिया था और भगवान इंद्र के सिंहासन पर विराजमान हो गए थे।
इसके बाद भी शंखासुर को लगा कि देवता अभी भी बलवान हैं क्योंकि उनके पास बीज मंत्र है, इसलिए उसने देवताओं के बीज मंत्रों को चुराने की योजना बनाई।
इस पर सभी देवता भगवान विष्णु के पास सहायता के लिए पहुंचे तब भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप धारण कर समुद्र में बीज मंत्रों की रक्षा की और शंखासुर राक्षस का वध कर दिया और देवताओं को उनका राजपाठ वापस करवाया।
इसी खुशी में पिछले लगभग 200 वर्षों से बैकुंठ चौदस पर अखरोटों की बारिश का आयोजन होता है।