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हिमखबर डेस्क

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वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया को परशुराम जयंती मनाई जाती है, जिसे अक्षय तृतीया के नाम से भी जाना जाता है। भगवान परशुराम इस दिन पृथ्वी लोक पर एक ब्राह्मण ऋषि के यहां जन्मे थे। भगवान परशुराम का जन्म महर्षि भृगु के पुत्र महर्षि जमदग्नि द्वारा सम्पन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न देवराज इन्द्र के वरदान से हुआ था।

भगवान परशुराम का जन्म महर्षि जमदग्नि की पत्नी रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया को मध्यप्रदेश के इंदौर जिला में ग्राम मानपुर के जानापाव पर्वत पर हुआ था। वे भगवान विष्णु के छठे आवेशावतार हैं।

इस दिन को किसी भी अच्छे कार्य के लिए शुभ माना जाता है। अक्षय तृतीया पर मूल्यवान वस्तुओं की खरीदारी भी की जाती है। पुराणों के अनुसार इस दिन को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना जाता है।

अक्षय तृतीया की प्रचलित कथा

प्रचलित कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक धर्मदास नामक वैश्य था। जिसकी देव व ब्राह्मणों के प्रति बहुत श्रद्धा थी। इस व्रत के बारे में सुनने के बाद उसने गड्ढे में स्नान कर विधिपूर्वक देवी-देवताओं की पूजा की। ब्राह्मणों को दान दिया व अनेक रोगों से ग्रस्त वृद्ध होने पर भी उसने उपवास कर धर्म-कर्म का पुण्य कमाया। इस जन्म के पुण्य के कारण यही वैश्य दूसरे जन्म में कुशावती का राजा बना।

कहते हैं कि अक्षय तृतीया के दिन किए गए दान व पूजन के कारण वह बहुत धनी प्रतापी बना। त्रिदेव तक उसकी सभा में अक्षय तृतीया के दिन ब्राह्मण का वेश धारण कर महायज्ञ में सम्मिलित होते थे। अपनी श्रद्धा और भक्ति का उसे कभी घमंड नहीं हुआ और महान वैभवशाली होने पर भी वह धर्म मार्ग से विचलित नहीं हुआ। माना जाता है कि इस दिन पूजा व व्रत करने से अक्षय तृतीया का फल मिलता है।

पूजा का विधान

अक्षय तृतीया के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। नैवेद्य में जौ व गेहूं का सत्तू, ककड़ी व चने की दाल अर्पित की जाती है। ब्राह्मणो को फल, बर्तन व वस्त्र आदि दान दिए जाते है। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाना कल्याणकारी माना जाता है।

इस दिन नए वस्त्र व आभूषण पहने जाते है। सौभाग्यवती स्त्रियां और कुंवारी कन्याएं इस दिन गौरी-पूजा करके मिठाई, फल व चने बांटती हैं। गौरी-पार्वती की पूजा करके धातु या मिट्टी के कलश में जल, फल, फूल, तिल, अन्न आदि लेकर दान करती हैं।

क्यों किए जाते हैं शुभ कार्य

अक्षय तृतीया के दिन आभूषण खरीदने के लिए भी यह दिन काफी शुभ माना जाता है। इस दिन सूर्य और चन्द्रमा दोनों ही अपनी उच्च राशि में विराजमान होते है जिसके शुभ परिणाम होते है। इस दिन को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना जाता है।

पुरे दिन आप किसी भी तरह का शुभ कार्य व खरीदारी कर सकते है। आभूषणों की खरीदारी के लिए भी यह दिन सबसे शुभ माना जाता है। इन दिनों ज्वेलर्स में भी उपभोक्ताओं के प्रति उत्साह देखने को मिलता है।

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