शिमला – नितिश पठानियां
हिमाचल प्रदेश पुलिस महकमे में गंभीर टकराव सामने आया है। शिमला के पुलिस अधीक्षक (एसपी) संजीव गांधी ने प्रदेश के पुलिस महानिदेशक के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोलते हुए उन्हें गैरजिम्मेदार बताया है।
यह विवाद हिमाचल पावर कॉरपोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की रहस्यमयी मौत की जांच को लेकर उठा है, जिसमें एसपी ने डीजीपी द्वारा हाईकोर्ट में दाखिल किए गए शपथपत्र को भ्रामक और पक्षपातपूर्ण बताया है।
संजीव गांधी ने शनिवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वे जल्द ही हाईकोर्ट में अपील दाखिल करेंगे, जिसमें डीजीपी द्वारा दाखिल किए गए शपथपत्र की वास्तविकता उजागर की जाएगी।
10 मार्च को विमल नेगी के लापता होने की सूचना मिलने के बाद शिमला पुलिस ने तत्काल कार्रवाई शुरू की। पुलिस ने उनके संभावित स्थानों की तलाशी ली और परिवार को हर संभव सहायता दी।
जांच में पता चला कि नेगी को आखिरी बार घुमारवीं बस अड्डे पर देखा गया था। इसके बाद उनका कोई सुराग नहीं मिला। 15 मार्च को डीजीपी द्वारा एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया गया, जिसमें एडीजीपी सीआईडी को प्रमुख नियुक्त किया गया।
इस एसआईटी को नेगी की तलाश और मामले की जांच की जिम्मेदारी दी गई। 18 मार्च को नेगी का शव बिलासपुर के गोविंद सागर झील में मिला। इसके बाद से मामले ने नया मोड़ ले लिया।
शिमला एसपी की स्वतंत्र SIT ने जुटाए अहम साक्ष्य
एसपी संजीव गांधी ने बताया कि डीजीपी द्वारा गठित एसआईटी की कार्यप्रणाली और गंभीरता को देखते हुए उन्होंने एक अलग एसआईटी का गठन किया, जिसमें अनुभवी और काबिल अफसरों को शामिल किया गया।
यह टीम पिछले 40 से 45 दिनों से मामले की हर दिशा से जांच कर रही थी और कई महत्वपूर्ण साक्ष्य जुटाए गए हैं। गांधी ने दावा किया कि उनकी टीम की जांच निष्पक्ष और कानून सम्मत रही है और इसका मुख्य उद्देश्य नेगी की मौत के पीछे की सच्चाई सामने लाना रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि उनकी जांच में यह सामने आया है कि नेगी की मौत सामान्य नहीं थी, बल्कि इसके पीछे मानसिक उत्पीड़न और असामान्य व्यवहार की भूमिका हो सकती है।
एसपी ने जांच रोकी लेकिन अपील की तैयारी
हाल ही में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश दिए, जिसके बाद एसपी शिमला ने अपनी एसआईटी की जांच प्रक्रिया को रोक दिया।
लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी टीम द्वारा की गई जांच और जुटाए गए साक्ष्य एक प्रीविलेज डॉक्यूमेंट हैं, जिन्हें वे अदालत में प्रस्तुत कर संरक्षित करना चाहेंगे।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि डीजीपी द्वारा दाखिल किए गए शपथपत्र में कई असत्य बातें हैं, जिन्हें वह कोर्ट में उजागर करेंगे।
डीजीपी के निजी स्टाफ पर नशे में संलिप्तता का आरोप
एसपी संजीव गांधी ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि डीजीपी के निजी स्टाफ का एक व्यक्ति नशा तस्करी के मामलों में संजय भूरिया नामक गैंग से जुड़ा पाया गया है।
उन्होंने सवाल उठाया कि जब राज्य के शीर्ष पुलिस अधिकारी का स्टाफ ही ऐसे गंभीर अपराधों में लिप्त हो, तो आम जनता को कानून पर विश्वास कैसे होगा?
उन्होंने कहा कि नशे के खिलाफ शिमला जिले में पिछले ढाई साल से बड़ा अभियान चल रहा है और इस दौरान कई खुलासे हुए हैं।
गोपनीय दस्तावेज लीक मामले में DGP पर परोक्ष आरोप
एसपी ने दावा किया कि कुछ समय पहले सीआईडी द्वारा की गई एक जांच के बाद एक गोपनीय पत्र को उनके कार्यालय से चुराकर लीक किया गया। इस मामले में एफआईआर दर्ज की जा चुकी है और जांच जारी है।
गांधी ने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि इस लीक में डीजीपी के निजी स्टाफ की संलिप्तता है और यह सब उस समय किया गया जब वह इस स्टाफ की भूमिका की जांच कर रहे थे।
पुराने विवादों और रिपोर्ट में धांधली के भी आरोप
गांधी ने बताया कि शिमला पुलिस को एक शिकायत प्राप्त हुई थी जिसमें आरोप था कि जब डीजीपी सीआईडी में महानिदेशक के पद पर कार्यरत थे, तब उन्होंने एक जूनियर अधिकारी पर दबाव डालकर एक रिपोर्ट तैयार करवाई जो गुमराह करने वाली थी। उन्होंने इसे लेकर राज्य के एडवोकेट जनरल और अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह को पत्र लिखकर सूचित किया है।
एसपी संजीव गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस मुख्यालय व राजनीतिक संरक्षण के माध्यम से कई मामलो में उनकी जांच को रोकने की कोशिशें की गई हैं।
उन्होंने कहा कि यह न केवल उनके काम को प्रभावित कर रहा है, बल्कि पूरी पुलिस व्यवस्था की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े करता है।
एसपी संजीव गांधी ने कहा कि धर्मशाला से भाजपा विधायक सुधीर शर्मा के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज किया है। यह मामला 21 मई को हाईकोर्ट की कार्यवाही के वीडियो क्लिप को कथित ताैर पर वायरल करने पर दायर किया है। उन्होंने सुधीर शर्मा को विधायक की खरीद-फरोख्त मामले का मास्टरमाइंड भी बताया।
हाईकोर्ट में अपील की तैयारी
गांधी ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य जांच को अपने पास रखना नहीं है, बल्कि सच्चाई को अदालत के सामने रखना है। उन्होंने कहा कि विमल नेगी मामले में उनकी एसआईटी की रिपोर्ट को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और वे इस मामले में हाईकोर्ट में अपील दाखिल करेंगे ताकि विमल नेगी को न्याय मिल सके और यह मामला राजनीति या प्रशासनिक दबाव का शिकार न हो।
एसपी ने कहा कि वे जल्द ही हाईकोर्ट में अपील दाखिल करेंगे, जिसमें डीजीपी द्वारा दाखिल किए गए शपथपत्र की वास्तविकता उजागर की जाएगी।
संजीव गांधी ने भावुक होते हुए कहा कि उन्होंने 25 से 26 साल तक पुलिस सेवा को तपस्या की तरह निभाया है और अगर कोई उनकी ईमानदारी या प्रोफेशनल इंटेगिरिटी पर सवाल उठाएगा तो वह इस पद को छोड़ना पसंद करेंगे, लेकिन अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे।