व्यूरो रिपोर्ट
डिजिटल इंडिया के बड़े-बड़े दावों के बीच हिमाचल प्रदेश से कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जो इन दावों की पोल खोल रही हैं।
कुल्लू जिला के सैंज की अति दुर्गम पंचायत गाड़ापारली में राशनकार्ड धारकों की ई-केवाईसी करवाने के लिए 2 किलोमीटर का पहाड़ चढ़ना पड़ा। इसके बाद केवाईसी पूरी हुई।
डिपो धारकों के लिए बुजुर्गों और महिलाओं का ई-केवाईसी कराना मुश्किल हो रहा है। दरअसल, राशन लेने के लिए परिवार के सभी सदस्यों का अंगूठा लगाना जरुरी हैं। लेकिन यहां सिग्नल की कमी होने की वजह से उनके लिए यह किसी चुनौती से कम नहीं।
ऐसे ने लोगों की दो किलोमीटर की चढ़ाई चढ़कर राशनकार्ड और आधारकार्ड का मिलान कर ई-केवाईसी करवाना पड़ रहा है। मामला रविवार का है।
पंचायत प्रधान यमुना देवी, उपप्रधान अजय ठाकुर और देवराज ने बताया कि पंचायत में सिग्नल न होने से लोगों को परेशानी हो रही है।
उन्होंने बताया कि कई बार समस्या को सरकार व जिला प्रशासन के सामने रखा गया, लेकिन हर बार इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता हैं। गाड़ापारली पंचायत करीब 30 किलोमीटर लंबी है। इसमें पांच हजार की आबादी है।
पंचायत में उचित मूल्य की चार दुकानों के जरिये उपभोक्ताओं को राशन दिया जाता है। ये दुकानें अति दुर्गम गांव शाक्टी, मझाण, बागीशिहाड़ी, बरेठा और मैल में स्थापित हैं।
ऑनलाइन पढ़ाई में भी हो रही थी दिक्क़ते
ऑनलाइन क्लास लगाने के लिए भी इससे पहले बच्चों को 2 किलोमीटर पहाडी पर जाना पड़ता था, जिस कारण यह क्षेत्र पहले भी सुर्खियों में रहा है। लेकिन अब राशन कार्ड की केवाईसी के लिए भी लोगों को दिक्कत झेलनी पड़ रही है।