नूरपुर – स्वर्ण राणा
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के मृत घोषित जवान सुरेंद्र कुमार 16 वर्ष बाद अपने घर लौट आए हैं। वर्ष 1997 में बतौर गनर भारतीय सेना में भर्ती हुए सुरेंद्र वर्ष 2009 में अचानक लापता हो गए थे। वर्ष 2020 में सेना ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था, जिसके बाद उनकी पत्नी को पैंशन और अन्य सुविधाएं मिलनी शुरू हो गई थीं, लेकिन अब अचानक उनकी वापसी से परिवार में खुशी का माहौल है।
मानसिक तनाव में छोड़ दी थी नौकरी
सुरेंद्र कुमार के अनुसार उनकी शादी वर्ष 2006 में पंजाब के पठानकोट के पास एक गांव की मीना कुमारी से हुई थी। शादी के बाद पारिवारिक जीवन ठीक नहीं चल पाया। सुरेंद्र के अनुसार पत्नी उनसे अलग रहना चाहती थी और शादी के एक साल बाद वे गुजरात चले गए।
वहां भी तनाव बना रहा। इस दाैरान उनका एक बेटा भी हुआ। वर्ष 2008 में उनकी पत्नी गुजरात से अपने भाई के साथ मायके चली गई। इसके बाद सुरेंद्र अवसाद में चले गए और वर्ष 2009 में उन्होंने सेना की नौकरी छोड़ दी और घर लौटे बिना गायब हो गए।
रेलवे स्टेशनों और पार्किंग में बिताया समय
गायब रहने के दौरान सुरेंद्र कुमार ने गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान के रेलवे स्टेशनों पर जीवन बिताया। उन्होंने कई जगहों पर पार्किंग का काम भी किया। परिवार से उनका संपर्क पूरी तरह टूट गया था।
फेसबुक बना वापसी का जरिया
सुरेंद्र कुमार के अनुसार वर्षों बाद जब उनकी मानसिक स्थिति में कुछ सुधार हुआ तो उन्होंने फेसबुक के जरिए अपने भाई से संपर्क किया। इसके बाद वे घर लौट आए। दिसम्बर 2024 में उन्होंने अदालत में आत्मसमर्पण किया क्योंकि उन पर धारा 498 के तहत मामला दर्ज था। कोर्ट ने उन्हें 42 दिन की सजा सुनाई, जिसे पूरा करने के बाद वे अब अपने गांव लौट चुके हैं।
परिवार ने नहीं लिया कोई लाभ
बता दें कि सुरेंद्र की गुमशुदगी के बाद उनकी पत्नी ने नूरपुर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। वर्ष 2020 में सेना ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। सुरेंद्र के पिता ने सरकार से मिलने वाले किसी भी लाभ को लेने से इनकार कर दिया था। उनका कहना था कि जब बेटा ही नहीं रहा तो ये लाभ किस काम का है। इसके बाद सुविधाएं उनकी पत्नी को दी गईं।
मां बोलीं- बेटे की वापसी से बहुत खुशी है
सुरेंद्र की मां ने उनकी वापसी पर भावुक होकर कहा कि बेटे के लौटने की हमें बहुत ही खुशी हुई है। इतने वर्षों बाद उसे देखना किसी चमत्कार से कम नहीं है।