‘उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी’, हाई कोर्ट ने सीपीएस एक्ट, 2006 को खत्म कर सीपीएस को हटाने के दिए आदेश, ‘असम एक्ट में मंत्री के समान शक्तियां और सुविधाएं सीपीएस को मिल रही थीं’
शिमला – नितिश पठानियां
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) की नियुक्तियों के संवैधानिक दर्जे को लेकर एक बड़ा निर्णय सुनाया। अदालत ने यह एक्ट रद कर दिया। इस बाबत राज्य सरकार के महाधिवक्ता अनूप रत्न ने कहा कि प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेगी।
उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने सीपीएस एक्ट, 2006 को खत्म कर सीपीएस को हटाने के आदेश दिए हैं। हाई कोर्ट ने असम केस का हवाला देते हुए अपना निर्णय सुनाया है, जिसके खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।
महाधिवक्ता ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में सीपीएस एक्ट असम एक्ट से अलग था। असम एक्ट में मंत्री के समान शक्तियां और सुविधाएं सीपीएस को मिल रही थीं। लेकिन हिमाचल में सीपीएस को इस तरह की शक्तियां नहीं दी गई थीं ऐसे में हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी।
तत्काल प्रभाव से हटाई जाएं सुविधाएं
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वीर बहादुर ने कहा कि सरकार ने सीपीएस नियुक्ति पर सीपीएस एक्ट 2006 का हवाला दिया था जिस पर लम्बी बहस के बाद हिमाचल हाई कोर्ट की डबल बेंच जस्टिस बीसी नेगी और विवेक सिंह ठाकुर ने अपना फैसला सुनाया। आदेश में कहा है कि सीपीएस एक्ट 2006 को रद्द किया जाता है और सीपीएस को हटाने के साथ तुरंत प्रभाव से इनकी सुविधाएं भी वापस ली जाए।
सुप्रीम कोर्ट जाना अच्छी ऑप्शन नहीं: धर्माणी
तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जाना अच्छी ऑप्शन नहीं है। उन्होंने कहा कि यह उनकी निजी राय है कि इस मामले को यहीं खत्म करना चाहिए। धर्माणी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा जो सीपीएस बनाए गए थे वह विधानसभा द्वारा बनाए गए एक्ट के मुताबिक थे। इसलिए यह ऑफिस और प्रॉफिट के दायरे में नहीं आते हैं। ऐसे में उनकी विधायकी पूरी तरह से सुरक्षित है।
इसे लेकर जो हाईकोर्ट द्वारा फैसला सुनाया गया है वो स्वीकार्य है। वहीं, उन्होंने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के सवाल पर कहा कि उनकी निजी राय है कि अब इस मामले को यहीं खत्म करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जाना अच्छा ऑप्शन नहीं होगा। लेकिन इस पर सरकार फैसला लेगी कि सुप्रीम कोर्ट जाना है या नही।