धर्मशाला- राजीव जसबाल
शिक्षा की लौ जलाने वाले समाज के बेहतरीन शिक्षकों को रविवार को शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में सम्मानित किया गया। नि:संदेह शिक्षक समाज की ऐसी कड़ी हैं, जो किसी भी राष्ट्र को अंधियारे से उजाले की ओर ले जाते हंै, लेकिन अगर स्कूलों में छात्र ही न हों, तो गुरु किसके सुरहरे भविष्य का निर्माण करेंगे।
अगर पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश की बात रहें तो प्रदेश में कई ऐसे स्कूल हैं, जहां पढ़ाने वाले तो हैं, लेकिन पढऩे वाला कोई नहीं। इसी बीच जानकारी मिली है कि जिला कांगड़ा के 26 से अधिक स्कूलों में एक भी छात्र का दाखिला ही नहीं हो पाया है। इतना ही नहीं, कांगड़ा के 30 स्कूलों को मर्ज करके काम चलाया जा रहा है, जिनमें छात्रों की संख्या बहुत कम है और शिक्षकों का भी यहां टोटा ही चल रहा है।
ऐसे में शिक्षा विभाग संग शिक्षकों की कार्यप्रणाली पर भी बड़े सवाल उठ रहे हैं। सरकार की ओर से शिक्षा का स्तर सुधारने व गुणवत्ता बढ़ाने के लिए हज़ारों क्वालिफाइड शिक्षकों की भर्तियां की जा रही हैं। ऐसे में शिक्षकों को अच्छा वेतन प्रदान करने के बाद भी सरकारी स्कूलों से बच्चे आखिर क्यों मुंह मोड़ रहे हैं। इस बारे में शिक्षा विभाग व शिक्षकों को गंभीर होकर सोचने की जरूरत है।
स्कूलों में लगातार गिर रहा छात्रों का ग्राफ अब विभाग की चिंता बढ़ाने लगा है। जिला कांगड़ा में मौजूदा समय में 1697 प्राइमरी स्कूल चलाए जा रहे हैं, जिसमें 76 हज़ार 848 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, लेकिन इनमें से 26 स्कूलों में इस बार एक भी दाखिला नहीं हो पाया है। इन स्कूलों में अब एक भी बच्चा पढ़ाई नहीं कर रहा है।
छात्र की शून्य संख्या वाले 26 स्कूल अब शिक्षा विभाग के दावों की पोल खोल रहे हैं। इस विषय को लेकर शिक्षा विभाग की ओर से निदेशालय व सरकार को भी सूचना भेजी गई हैं। वहीं, जिला में 30 से अधिक ऐसे स्कूल भी हैं, जहंा पर भी छात्रों की संख्या न के बराबर है।
ऐसे स्कूलों को भी शिक्षा विभाग ने अन्य स्कूलों के साथ मर्ज करके चलाया हुआ है। वहीं, जिन स्कूलों में एक भी छात्र नहीं है, उनके शिक्षकों को अन्य स्कूलों भेजने की बात शिक्षा विभाग कर रहा है, लेकिन सरकारी स्कूलों में लगातार कम होती छात्र संख्या बड़े सवाल उठा रही है, जबकि कोविड के मुश्किल दौर में कई निजी स्कूल बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं।
हालंकि ऑनलाइन पढ़ाई के बावजूद निजी स्कूलों की भारी भरकम फीस होने के बाद कई अभिभावक छात्रों को सरकारी स्कूलों में भी दाखिल करवा रहे हैं। ऐसे में प्रदेश के नेताओं को भी स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ाने के बारे में विचार करना चाहिए।
उधर, प्रारंभिक शिक्षा उप-निदेशक कांगड़ा मोहिंद्र कुमार ने बताया कि कुछ स्कूलों में छात्र संख्या जीरो है। उन्होंने बताया कि कम छात्रों वाले स्कूलों को मर्ज किया गया है।