चामुंडा – व्यूरो रिपोर्ट
श्री चामुंडा नंदिकेश्वर धाम मंदिर से बहती हुई बनेर खड्ड जिसे बाण गंगा के नाम से जाना जाता है के मुहाने पर दो मोक्ष धाम हैं, जहां समीपवर्ती 10 गांवों के लोग यही दाह संस्कार करते हैं। एक लोक श्रुति के अनुसार यहां के मोक्ष धामों में रोजाना एक शव का दाह संस्कार किया जाता है, जिससे इसे मुख्य तीर्थ स्थल के रूप में भी माना जाता है। यहां तीनों शक्तियां यानि शिव, शक्ति और शव विराजमान हैं।
उत्तरी भारत में भी इसे सुप्रसिद्ध तीर्थ स्थल के तौर पर माना जाता है। यहां लोग बाण गंगा में स्नान करने के बाद मां के दर्शन करते हैं। एक मान्यता के अनुसार इसे मिनी हरिद्वार के रुप में मानकर अस्थ विसर्जन भी किया जाता है। कोरोना काल के दौरान तो यहां रोजाना अस्थि विसर्जन के लिए दूर दराज से लोग आते रहे हैं। अब गांवों के लोग यही अस्थि विसर्जन करते है। ऐसे में यहां अस्थि विसर्जन घाट होना जरूरी भी है। लोगों ने मंदिर प्रशासन से यह मांग रखी है।
स्थानीय लोगों व पंचायत प्रतिनिधि लव कृष्ण मेहरा, पठियार पंचायत प्रधान डा. विपिन कुमार, टंग पंचायत के पूर्व प्रधान सुरेंद्र चौधरी, नरवाना खास के पूर्व प्रधान बहादुर सिंह कपूर, मंदिर न्यासी मनु सूद व करडियाणा पंचायत प्रधान सरला देवी ने कहा श्रीचामुंडा धाम एक सुप्रसिद्ध तीर्थ स्थल के रूप में माना जाता है। यहां बनेर खड्ड के मुहाने पर दो मोक्ष धाम है। ऐसे में यहां अस्थि विसर्जन घाट बनाना लाजिमी है।
चामुंडा स्थित मोक्ष धामों में समीपवर्ती तीस गावों के लोग यहां दाह संस्कार करने आते हैं, वैसे भी बाण को पवित्र माना गया है। कई गांवों के लोग यहां अस्थि विसर्जन करते हैं। घाट बनने से सुविधा मिल सकती है। कोरोना काल के दौरान लोग हरिद्वार नहीं जा पाए थे। ऐसे में दूर दराज के लोग भी यहां अस्थि विसर्जन करने आते रहे हैं। घाट बनने से लोगों को नहाने की भी सुविधा मिल सकती है। चामुंडा शिव मंदिर के समीप प्राचीन मोक्ष धाम को ढाई पौढ़ी की भी मान्यता है। हरिद्वार की तर्ज पर यहा अस्थि विसर्जन घाट बनना चाहिए।
उधर चामुंडा मंदिर सहायक आयुक्त एवं एसडीएम धर्मशाला डाक्टर हरीश गज्जू ने कहा अभी ऐसी कोई मांग प्रशासन के पास नहीं आई हैं। फिर भी प्रशासन मंदिर न्यास बैठक में विचार विमर्श कर इस पर कोई कार्रवाई कर सकता है।