कांग्रेस के कांगड़ा किले को मजबूत करते रहे जीएस बाली के मुख्यमंत्री पद के लिए दावा होते ही सियासी हलचल पैदा हो गई है। हलचल इस लिए हुई है कि छह बार के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के देहावसान के तुरंत बाद यह बयान व दावा आया है।
काँगड़ा, राजीव जस्वाल
कांग्रेस के कांगड़ा किले को मजबूत करते रहे जीएस बाली के मुख्यमंत्री पद के लिए दावा जताते ही सियासी हलचल पैदा हो गई है। हलचल इस लिए हुई है कि छह बार के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के देहावसान के तुरंत बाद यह बयान व दावा आया है।
हालांकि इससे पहले जीएस बाली ने पूरे प्रदेश में पोस्टर लगाकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी थी। जिसमें बहुत से जिलों में पोस्टर फट गए थे। इसको लेकर भी काफी बबाल हुआ था। इसके बाद पार्टी के अलग-अलग गुट व गुजबाजी जगजाहिर हो गई थी। हालांकि बहुत से ऐसे नेता हैं जो जीएस बाली के साथ हैं। यह डिनर में भी बाली दिखा चुके हैं। लेकिन अब जब कांग्रेस के महानायक के गुजर जाने के बाद पूर्व परिवहन मंत्री व जीएस बाली ने अपना दावा रखा है, हालांकि उनका मत यह भी है कि नेता वही होगा जिसे पार्टी व लोग मानेंगे, नेता जनता व पार्टी हाईकमान बनाएगा।
गुटबाजी पर भी उन्होंने अपने चिरपरिचित अंदाज में जवाब दे दिया है कि एक डिनर में गुटबाजी खत्म हो जाएगी। साथ ही यह मौका है कि जब कांगड़ा को पचास सालों के बाद कोई मुख्यमंत्री मिल सकता है। ऐसे में कांगड़ा किले को मजबूत करने के साथ-साथ कांगड़ा से मुख्यमंत्री देने के लिए बाली ने हुंकार भर दी है।
वहीं जीएस बाली को जैसे पोस्टर फटने के कारण अलोचना सहनी पड़ी थी इसी तरह से इस तरह के बयान व दावों को लेकर भी कुछ अलोचना सहनी पड़ रही है। कुछ लोगों का कहना है कि अभी वीरभद्र सिंह की अस्थियां विसर्जन होनी हैं और उससे पहले ही दावे कांग्रेस की अपनी गुटबाजी को जगजाहिर कर दिया है। बाली वरिष्ठ नेता हैं और बाली की राह भी ज्यादा कठिन नहीं है अगर गुटबाजी खत्म हो जाए।