जाते-जाते हिमाचल के विकास को पंख लगा गए राजा, अधिकतर स्कूल वीरभद्र सिंह की देन; गांव-गांव तक पहुंचाई स्वास्थ्य और सड़क सुविधा, पांच छात्रों को भी खोल दिए विद्यालय
व्यूरो, रिपोर्ट
जाते-जाते वीरभद्र सिंह हिमाचल के विकास को पंख लगा गए। वे चाहे शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो या फिर लोक निर्माण विभाग। तीनों विभागों में उन्होंने भरपूर कार्य कर विकास को अमलीजामा पहनाया। हिमाचल में जब-जब शिक्षा का नाम आएगा, तब-तब राजा वीरभद्र का नाम इतिहास में जोड़ा जाएगा।
प्रदेश में शिक्षा का विकास अगर हुआ है, तो वह राजा वीरभद्र की देन है। इसके साथ राज्य में मेडिकल कालेजों का झाल भी उन्होंने ही बिछाना शुरू किया। प्रदेश का सबसे बड़ा व पहले मेडिकल कालेज की नींव भी उन्होंने ही रखी। वहीं प्रदेश की पंगडंडियों को सड़कों व पक्के राश्तों में तबदील करने वालों में भी पहला नाम उनका ही आएगा।
शिक्षा जगत की बात करें, तो शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार राज्य में 18 हजार के करीब सरकारी स्कूल हैं, इसमें से 90 प्रतिशत स्कूल राजा वीरभद्र सिंह के कार्यकाल में खोले गए हैं।
उन्होंने स्कूल, कालेज खोलने के लिए सभी नियमों को भी तोड़ दिया। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह बताया जा रहा है कि वह ग्रामीण क्षेत्रों में भी हर छात्र तक प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा मुहैया करवाना चाहते थे।
यही वजह है कि जब भी वह किसी क्षेत्र में दौरे के लिए जाते थे, तो लोगों की मांगों पर वहां स्कूल या कालेज खोलने की घोषणा कर देते हैं, तब चाहे उस क्षेत्र में एक या पांच से भी कम छात्र क्यों न हों।
स्कूल, कालेज खोलने की उनकी इन घोषणाओं की वजह से कई बार विपक्ष के साथ उनकी नोक झोंक भी होती थी, लेकिन इन सभी को दरकिनार कर वह छात्रों को सुविधा देने के लिए स्कूल-कॉलेज खोल देते थे।