व्यूरो, रिपोर्ट
इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 10 जून को बड़े विलक्षण संयोग में लगने जा रहा है। उस दिन अमावस्या भी है, शनि जयंती भी है और वट सावित्री व्रत भी है। शनि वक्री अवस्था में भी है। ये चारों ही संयोग ज्योतिष की दृष्टि से भी बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। खास बात यह भी है कि उस दिन ग्रहण के समय मृगशिरा नक्षत्र भी होगा।
ज्योतिष शोधार्थी व एस्ट्रोलॉजी एक विज्ञान शोध पुस्तक के लेखक गुरमीत बेदी के अनुसार इस ग्रहण से चिंतित या परेशान होने की जरूरत नहीं है। न ही कुछ अनिष्ट होगा, क्योंकि भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा। गुरमीत बेदी के अनुसार इस ग्रहण का न तो कोई सूतक लगेगा और न ही मंदिरों के कपाट बंद होंगे। न ही मंदिरों में धार्मिक कार्यों पर कोई रोक रहेगी।
गुरमीत बेदी के अनुसार 10 जून गुरुवार को लगने जा रहा साल का यह पहला सूर्यग्रहण भारतीय समय के मुताबिक दोपहर करीब 1ः42 पर शुरू होकर शाम 6ः41 पर खत्म होगा। पांच घंटे के इस ग्रहण में तीन मिनट 48 सेकंड तक वलयाकार स्थिति बनेगी। वलयाकार सूर्य ग्रहण उस घटना को कहते हैं, जब चंद्र पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए सामान्य की तुलना में उससे दूर हो जाता है।
इस दौरान चंद्र, सूर्य और पृथ्वी के बीच होता है, लेकिन उसका आकार पृथ्वी से देखने पर इतना नजर नहीं आता कि वह पूरी तरह सूर्य की रोशनी को ढक सके। इस स्थिति में चंद्र के बाहरी किनारे पर सूर्य काफी चमकदार रूप से रिंग यानि एक अंगूठी की तरह प्रतीत होता है। इस घटना को ही वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं। बेदी ने बताया कि यह ग्रहण पूर्ण रूप से उत्तर-पूर्व अमरीका, यूरोप, ग्रीनलैंड, रूस, कनाडा, उत्तरी एशिया और उत्तरी अटलांटिक महासागर में देखा जा सकेगा।