दिल्ली – नवीन चौहान
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राज्यों को निर्देश दिया कि वे अनाथ, कमजोर वर्गों और वंचित समूहों के बच्चों के लिए निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत कोटे के तहत मुफ्त शिक्षा देने की अनुमति संबंधी अधिसूचनाएं चार सप्ताह के अंदर जारी करें। न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने अधिवक्ता पौलोमी पाविनी शुक्ला की ओर से दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया।
पीठ ने कहा, “दिल्ली, मेघालय, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात ने पहले ही अनाथ बच्चों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 12(1)(सी) की परिभाषा में शामिल करने के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। बाकी राज्य भी इस संबंध में प्रक्रिया चार सप्ताह के भीतर पूरी कर लें।”
शीर्ष अदालत ने राज्यों को उन अनाथ बच्चों का सर्वेक्षण करने का भी निर्देश दिया जिन्हें स्कूलों में प्रवेश दिया गया है और जिन्हें दाखिले से मना कर दिया गया। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि संबंधित सर्वेक्षण में दाखिले से इनकार करने का कारण दर्ज किए जाएं।
शीर्ष अदालत कहा, “सर्वेक्षण के साथ ही ऐसे (अनाथ) बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिलाने के प्रयास किए जाने चाहिए।” याचिका में मानकीकृत शिक्षा, आरक्षण और भारत में अनाथों की आबादी की गणना के लिए एक सर्वेक्षण का निर्देश देने की मांग की गई है।
याचिकाकर्ता ने दावा करते हुए कहा कि भारत सरकार देश में अनाथ बच्चों की गणना नहीं करती है। एकमात्र विश्वसनीय आंकड़े गैर-सरकारी संगठनों और यूनिसेफ जैसे स्वतंत्र संगठनों का अनुमान है कि भारत में 2.96 करोड़ अनाथ बच्चे हैं।