दभोटा गांव में शराब ठेका खोलने का विरोध, कबड्डी स्टार अजय ठाकुर भी विरोध में शामिल, ग्रामीण भूख हड़ताल की चेतावनी दे रहे हैं।
नालागढ़/सोलन – रजनीश ठाकुर
जिस गांव में बीते 30 साल से कोई शराब का ठेका नहीं था, वहां पर भी भी सुक्खू सरकार ने ठेका खुला दिया। ऐसे में सुक्खू सरकार के नशा मुक्त हिमाचल के दावे यहां फेल हो जाते हैं। मामला सोलन जिले के नालागढ़ उपमंडल का है। यहां पर दभोटा गांव में खुला शराब का ठेका सरकार के इन प्रयासों पर सवाल खड़े कर रहा है।
कबड्डी स्टार और एशियन गेम्स के गोल्ड मेडलिस्ट अजय ठाकुर के गांव में चार दिन से जारी विरोध प्रदर्शन ने तूल पकड़ लिया है। सैकड़ों ग्रामीण, महिलाएं और युवा अब ठेके को हटाने की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं। उनका कहना है कि यदि प्रशासन ने जल्द कदम नहीं उठाया तो वे भूख हड़ताल शुरू करेंगे, जिसकी पूरी ज़िम्मेदारी सरकार और प्रशासन की होगी।
ग्राम पंचायत दभोटा प्रधान करणवीर सिंह के बोल
ग्राम पंचायत दभोटा के प्रधान करणवीर सिंह ने बताया कि यह गांव पिछले 30 वर्षों से शराब ठेके से मुक्त रहा है। “हमारा गांव खेलों का गढ़ है। यहां के युवा कबड्डी और कुश्ती जैसे खेलों में प्रदेश और देश का नाम रोशन कर रहे हैं। यदि शराब ठेका खुला रहा तो युवा नशे की गिरफ्त में आ सकते हैं,”।
करणवीर सिंह ने यह भी बताया कि 30 वर्ष पूर्व जब गांव में ठेका खोला गया था, तब हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें एक व्यक्ति की गोली लगने से मौत हो गई थी। इस बार ठेका पंजाब सीमा के पास खोला गया है, जिससे बाहरी तत्वों के आने और माहौल बिगड़ने की आशंका है।
स्थानीय महिला कविता के बोल
स्थानीय महिला कविता ने कहा, “शराब ठेका खुलने से महिलाएं असुरक्षित महसूस करेंगी। नशेड़ी सड़कों पर उत्पात मचा सकते हैं। हम हर हाल में इस ठेके को हटवाकर ही रहेंगे।” उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की, तो पूरा गांव भूख हड़ताल पर जाएगा।
शुक्रवार को सैकड़ों ग्रामीणों ने ठेके के बाहर विरोध प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए नालागढ़ के एसडीएम राजकुमार, स्थानीय विधायक बावा हरदीप सिंह और पुलिस बल मौके पर पहुंचे। विधायक हरदीप सिंह ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि उनकी मांगें सरकार तक पहुंचाई जाएंगी, लेकिन ग्रामीण ठोस कार्रवाई की मांग पर अड़े हुए हैं।
स्थानीय युवक के बोल
स्थानीय युवक का कहना है कि दभोटा गांव की पहचान खेलों के लिए है, और शराब ठेका इस पहचान को मिटा सकता है।“ हमारे बच्चे खेलों में देश का नाम रोशन कर रहे हैं। यदि यह ठेका यहीं रहा तो युवा नशे की ओर बढ़ सकते हैं, और हमारी खेल परंपरा खतरे में पड़ जाएगी।
ठेकेदार और प्रशासन का पक्ष:
ठेकेदार वरुण नेगी का कहना है कि “सरकार से अनुमति मिलने के बाद ही ठेका खोला गया है। यदि सरकार आदेश देती है, तो हम ठेका बंद करने या स्थानांतरित करने को तैयार हैं।”
वहीं, एक्साइज इंस्पेक्टर चंद्र मोहन लठ ने बताया कि ठेका सरकारी नियमों के तहत खोला गया है। “पंजाब-हिमाचल सीमा पर अवैध शराब तस्करी पर रोक लगाने के लिए यह ठेका खोला गया है। नई नीति के अनुसार पंचायत की सहमति आवश्यक नहीं है।,” उन्होंने यह भी जोड़ा कि ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेज दी गई है।