चम्बा – भूषण गुरुंग
बिना छत भारी बारिश के बीच खुले आसमान के तले मेकेनिक बसों की मरम्मत करने के लिए मजबूर हैं। वीरवार को हुई तेज बारिश में चंबा डिपो की कर्मशाला में तरपाल लगाकर बसों की मरम्मत की। लबालब पानी से भरे गड्ढे में कर्मचारियों का चलना तक काफी मुश्किल है। कई बसों की मरम्मत तो बस स्टैंड में ही करनी पड़ी।
मेकेनिकों का कहना है कि बारिश के बीच भी काम करना उनकी मजबूरी है। एक छाता पकड़ता तो दूसरा बसों के टायर बदलता है। हैरानी की बात तो यह है कि मेकेनिकों के लिए बैठने के लिए भी व्यवस्था नहीं है। बारिश में भी वह टूटी छत के नीचे ही खड़े रहते हैं।
एचआरटीसी वर्कशाप की छत बीते एक साल से गिर चुकी है। इससे एक कर्मचारी घायल भी हुआ था, लेकिन निगम प्रबंधन फिर कर्मचारियों की इस समस्या को नजरअंदाज कर रहा है। बस डिपो के हालात बदतर हैं। इन बसों की मरम्मत भी कर्मचारियों को खुले आसमान के नीचे ही करनी पड़ती है।
निगम प्रबंधन समस्या के समाधान को लेकर बार-बार दावा तो करता है, लेकिन हकीकत में होता कुछ नहीं। चंबा डिपो में वीरवार को भी भारी बारिश के बीच खुले आसमान तले मेकेनिक बसों की मरम्मत करते देखे गए।
राज्य कार्यकारिणी तकनीकी संगठन उपाध्यक्ष विवेक के बोल
राज्य कार्यकारिणी तकनीकी संगठन के उपाध्यक्ष विवेक ने कहा कि वर्कशॉप की खस्ता हालत के बारे में कई बार सरकार और उच्चाधिकारी को अवगत करवाया है लेकिन, समस्या जस की तस है। बारिश में भी खुले आसमान के नीचे बसों की मरम्मत करनी पड़ रही है।
एचआरटीसी डीडीएम शुगल सिंह के बोल
एचआरटीसी के डीडीएम शुगल सिंह का कहना है कि वर्कशॉप की छत की मरम्मत के लिए उच्चाधिकारी को अवगत करवाया जा चुका है।