सडक़ सुविधा से महरूम मैल और मझाण गांव के लोगों ने सरकार और प्रशासन से लगाई गुहार, पीठ के सहारे गाड़ापारली पंचायत के लोगों का जीवन’
कुल्लू – अजय सूर्या
सैंज घाटी के दुर्गम गांव मैल और मझाण में गुरुवार को एक महिला बाली देवी, बुजुर्ग वीर सिंह और एक बच्चा बीमार हो गया। गांव तक सडक़ नहीं होने के कारण परिजनों और ग्रामीणों ने उन्हें सात किलोमीटर पीठ पर उठाकर निहारनी सडक़ पहुंचाया और सैंज अस्पताल में उपचार के बाद वापस शाम को पीठ पर उठाकर गांव तक पहुंचाया।
जानकारी के अनुसार जिला कुल्लू की सैंज घाटी के दुर्गम गांवों में बढ़ रही ठंड के कारण लोग लगातार बीमार हो रहे हैं। सात किलोमीटर पैदल सफर कर पीठ, चारपाईऔर कुर्सी के सहारे मरीजों को उपचार के लिए सैंज अस्पताल पहुंचाना पड़ रहा है।
वहीं, उपचार के बाद फिर सात किलोमीटर खड़ी चढ़ाई और जोखिम भरे रास्तों से होकर मरीजों को अपने गांव और घर पहुंचाना पड़ रहा है। आने-जाने का पैदल सफर लगभग 14 किलोमीटर का है। कड़ाके की ठंड में रास्ते भी जोखिम हो गए हैं।
ऐसे में बुजुर्ग मरीजों को उपचार के लिए गांव से अस्पताल लाना काफी मुश्किल भरा हो रहा है। ग्रामीणों ने सरकार, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से आग्रह किया है कि गांव में बीमार हुए लोगों का ईलाज करने के लिए डाक्टरों की टीम को मैल और मझाण गांव भेजा जाए, ताकि बुखार, छाती दर्द, पेट दर्द सहित अन्य मरीजों का उपचार गांव में ही हो सके और ग्रामीणों की दिक्कत कम हो सके।
जानकारी के अनुसार हर दिन गांव से बुजुर्गों और बच्चों को उपचार के लिए सैंज अस्पताल की ओर लाना पड़ रहा है। सडक़ सुविधा से सैंज घाटी की गाड़पारली पंचायत के मैल और मझाण गांव वंचित हैं। कई बार लोगों ने सरकार, प्रशासन और नेताओं से अपना दु:खड़ा सुनाया, लेकिन ग्रामीणों की समस्याओं को दूर करने में कोई उचित कदम नहीं उठा रहे हैं। आजादी के इतने दशकों बाद भी लोगों को पहले जैसी ही समस्याओं से गुजरना पड़ रहा है।
आजादी के सात दशक बाद भी नहीं बदले हालात
ग्रामीण बालक राम, सुभाष चंद, यान सिंह और सूरत कुमार का कहना है कि ग्राम पंचायत गाड़ापारली के मैल गांव में बुजुर्ग, बच्चे इन दिनों बीमार हो गए हैं। बीमार लोगों को सुबह सात किलोमीटर निहारनी तक पैदल रास्ते से पीठ के सहारे लाना पड़ रहा है। सैंज अस्पताल में उपचार के बाद भी मरीजों को पीठ के सहारे की घर पहुंचना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि गुरुवार को भी गांव की बीमार बुजुर्ग महिला बाली देवी और बुजुर्ग बीर सिंह को भी पहले पीठ के सहारे उपचार के लिए लाया गया और उपचार के बाद शाम को फिर पीठ के सहारे ही घर पहुंचाया गया। वहीं, बच्चे भी बीमार हैं, उन्हें भी उपचार के लिए लाया गया।
उन्होंने कहा कि आजादी के इतने दशकों बाद भी गांव के लोगों की जिंदगी कठिनाई के दौर से गुजर रही है। ग्रामीणों ने सरकार, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से मांग की है कि बीमार लोगों के स्वास्थ्य जांच के लिए मैल और मझाण गांव डाक्टरों की टीम भेजी जाए, ताकि यहीं पर उनका उपचार हो सके।