भाखड़ा बांध का जलस्तर 50 फीट नीचे, चार माह पहले बाहर निकले जलमग्न मंदिर

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हिमखबर डेस्क

हिमाचल में सामान्य से 18 फीसदी कम बारिश होने से गर्मियों में उत्तर भारत में जलसंकट गहराने का अंदेशा अभी से होने लगा है। बरसात में पानी से लबालब रहने वाला भाखड़ा बांध और गोबिंदसागर झील का इस बार जलस्तर सामान्य से 50 फीट नीचे चल रहा है।

हालात ऐसे हैं कि गोबिंदसागर झील में चार माह बाद फरवरी में जलसमाधि से निकलने वाले मंदिर अभी से दिखाई दे रहे हैं। एक मंदिर तो इस बार पूरी तरह डूबा भी नहीं। हर साल बरसात के बाद भाखड़ा बांध का जलस्तर 1550 फीट पर स्थिर रहता है। अभी 1620 है, लेकिन इसके 1500 फीट रहने की आशंका है।

भाखड़ा ही नहीं, प्रदेशभर के सभी डैमों का यही हाल है। बताते चलें कि बिलासपुर की गोबिंद सागर झील के ऐतिहासिक मंदिर फरवरी तक डूबे रहते थे वो अब अक्तूबर में ही बाहर निकलने लग गए हैं। जबकि अक्तूबर में भी पानी का जलस्तर बढ़ता था और वह जनवरी तक स्थिर रहता था।

इस साल अक्तूबर के शुरू में ही आधे मंदिर बाहर निकल गए हैं।  वहीं, बोट चालक सुरेश का कहना है कि इस साल झील पहले ही करीब 30 फीट कम भरी। अब अक्तूबर माह में ही जलस्तर गिरना शुरू हो गया। करीब 10 फीट तक जलस्तर गिर गया है। कारण बारिश का कम होना है।

संकट

पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान के किसान भाखड़ा बांध पर निर्भर हैं। इस साल इन राज्यों को जरूरत के हिसाब से ही पानी मिलेगा। अगर राज्यों ने पानी की बर्बादी की तो इन्हें जलसंकट का सामना करना पड़ सकता है।

अलर्ट 

उक्त राज्यों की मासिक बैठक में भाखड़ा-ब्यास प्रबंधन बोर्ड ने पहले ही इसके लिए अलर्ट कर दिया है। भाखड़ा और पौंग डैम से उत्तर भारत के राज्यों को सिंचाई का पानी जाता है। इसलिए इसका असर किसानों पर ज्यादा होगा।

बिजली उत्पादन

बीबीएमबी के अधिकारियों का कहना है कि झील का जलस्तर कम होने से बिजली के उत्पादन पर कोई खासा असर नहीं होगा। कारण यह है कि प्रबंधन अन्य राज्यों के लिए उतना ही पानी देगा जितनी जरूरत होगी।  इस साल पानी का जलस्तर गिरने से प्रबंधन ने इसे जरूरत के अनुसार ही छोड़ने का निर्णय लिया है, ताकि बिजली उत्पादन के लिए भी बांध में पर्याप्त स्टोरेज बनी रहे।

राज्य जरूरत के अनुसार करें पानी का इस्तेमाल – सीपी सिंह, मुख्य अभियंता भाखड़ा-ब्यास प्रबंधन बोर्ड

हर साल भाखड़ा बांध का जलस्तर 1550 फीट पर स्थिर रहता है। लेकिन इस साल 1500 फीट रहने की आशंका है। इसका कारण बारिश का कम होना है। इसका असर पौंग डैम पर भी पड़ेगा। हालात को देखते हुए पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की मासिक बैठक में सभी को कहा गया है कि सिंचाई के लिए जरूरत के अनुसार ही पानी का इस्तेमाल करें। अगर फिजूलखर्ची हुई तो आगे सिंचाई के पानी को लेकर समस्या उत्पन्न हो  सकती है।

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