ज्वाली – अनिल छांगू
न दुआओं का असर हुआ और न ही दवाओं से काम चला। जिंदगी की जंग लड़ रहा 13 वर्षीय विवेक कुमार अपनी जिंदगी की जंग को हार गया। सिद्धपुरघाड़ के 13 वर्षीय विवेक कुमार की मौत से हर किसी की आंख नम है। उसकी मौत ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है।
अमनदीप अस्पताल पठानकोट में डॉक्टरों की टीम ने 13 वर्षीय विवेक कुमार के गले से गुब्बारे को निकाल दिया, लेकिन उसके बाद भी स्थिति नाजुक बनी हुई थी। डॉक्टरों की टीम ने बच्चे को बचाने की हर संभव कोशिश की, परंतु इसके बाद भी गुरुवार देर रात करीब 11 बजे गरीब के घर का चिराग बुझ गया। गरीब परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।
गुब्बारा ही बच्चे की मौत का कारण बन गया। बच्चे की मौत से जहां परिजन स्तब्ध हैं, तो वहीं स्कूल व गांव में भी शोक की लहर है। स्कूल के बच्चों व स्टाफ की आंख भी नम है। जिस बच्चे को परिजनों ने सुबह तैयार करके स्कूल भेजा था, वह बच्चा मौत की आगोश में सोया हुआ घर पहुंचा।
किसी भी परिवार को यह मंजर सहन करना पाना काफी मुश्किल होता है। मृतक विवेक कुमार के पिता दिहाड़ी मजदूरी करते हैं तथा माता गृहिणी है। मृतक विवेक कुमार की बड़ी बहन जमा दो में पढ़ती है।