स्टील एसोसिएशन के बोल पलायन रोकने के लिए सरकार करे सहयोग
सोलन – रजनीश ठाकुर
हिमाचल सरकार द्वारा विभिन्न वर्गाे की विद्युत सबसिडी हटाने की चल रही कवायद के बीच प्रदेश का उद्योग जगत भी विद्युत सबसिडी में कटौती की आशंका से सहमा हुआ है। हालात यह है कि उद्योगों में विद्युत सबसिडी में कटौती किए जाने की आशंका ने हिमाचल के स्टील उद्योगों सहित तमाम उद्योग जगत में हलचल मचा दी है।
औद्योगिक संगठनों का कहना है कि राज्य सरकार ने होटलों और अन्य वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के लिए सबसिडी वापस लेने का फैसला लिया है और अब अगला निशाना उद्योग जगत हो सकता है। इसी कड़ी में हिमाचल प्रदेश स्टील मैनुफैक्चरिंग एसोसिएशन ने सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू व उद्योग मंंत्री को पत्र भेजकर विद्युत सबसिडी में कटौती न करने की गुहार लगाई है।
स्टील उद्यमियों ने कहा कि अगर उद्योगों को दी गई एक रुपए सबसिडी को समाप्त किया जाएगा तो हमें सात रुपए प्रति यूनिट से बिल देना पड़ेगा जो कि आर्थिक मोर्चें पर पहले ही संकटों का सामने कर रहे स्टील उद्योगों की कमर तोडऩे वाला कदम साबित होगा।
एसोसिएशन ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में उद्योग पहले से ही कई चुनौतियों से जूझ रहे हैं, जिसमें एजीटी और सीजीसीआर जैसे अतिरिक्त करों का लगाया जाना, कार्टेलाइजेशन के कारण उच्च परिवहन लागत और बढ़े हुए श्रमशक्ति खर्च शामिल हैं। यदि बिजली शुल्क सबसिडी की प्रस्तावित वापसी हो जाती है, तो यह राज्य में पहले से ही कई संकटों से जूझ रहे उद्योगों के लिए विनाशकारी कदम होगा।
रोजगार-जीएसटी का होगा नुकसान
स्टील मैनुफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष मेघराज गर्ग ने कहा कि राज्य में वर्तमान में समस्त उद्योग सात लाख से रोजगार उपलब्ध करवा रहे हैं। वहीं 30 हजार वाहन भी उद्योग जगत से जुड़े हुए हैं। अगर हिमाचल से स्टील कारखाने रुखस्त होते हैं तो राज्य सरकार के जीएसटी में भारी कमी आएगी इसलिए प्रदेश सरकार हमें सस्ती बिजली नहीं दे सकती तो हमारी वर्तमान की सबसिडी को भी समाप्त न करें। उन्होंने चेताया कि अगर उद्योगों को कहीं से भी राहत नहीं मिल रही तो मंदी में हम नए विकल्प तलाशने पर मजबूर होंगे।
दोहरी मार झेल रहे स्टील उद्योग
स्टील मैनुफैक्चरिंग एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव राजीव सिंगला ने कहा कि हमारे ऊपर पहले से ही एजीटी व सीजीसीआर का बोझ पड़ा हुआ है। इसके अलावा इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में भी दो सालों में आशातीत वृद्धि हुई है। अगर सरकार ने वर्तमान में लोहा व अन्य उद्योगों को मिल रही एक रुपए प्रति यूनिट सबसिडी को भी हटा लिया तो राज्य का लोहा उद्योग हिमाचल से स्वत: की पलायन कर जाएगा।