बिलासपुर – सुभाष चंदेल
हिमाचल प्रदेश बी एड कॉलेज वेलफेयर एसोसिएशन की राज्यस्तरीय बैठक घुमारवीं स्थित शिवा बी एड कॉलेज के सभागार में संपन्न हुई। जिसकी अध्यक्षता कार्यकारी अध्यक्ष कर्नल जय चंद ने की। बैठक में प्रदेश भर से आये विभिन्न बी एड कॉलेज प्रबंधन के लोगों ने हिस्सा लिया।
इस बैठक में पूर्व विधायक, मंजीत डोगरा को एसोसिएशन का नया अध्यक्ष चुना गया, राजीव शर्मा को उपाध्यक्ष, बलविंदर सिंह पठानियां सचिव, जॉइंट सेक्रेटरी चन्द्र मोहन व पुरुषोत्तम शर्मा कोषाध्यक्ष, डॉ जीत सिंह राणा लीगल सहसचिव व सूरज कांत सह सचिव चुने गए।
इसके अलावा बैठक में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला से सम्बद्ध बी एड कॉलेजों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर बातचीत हुई। जिसमे प्रमुखता से बीएड काउंसलिंग में हो रही देरी पर सबने चिंता जाहिर कर इस मुद्दे पर प्रदेश सरकार व विश्वविद्यालय प्रशासन से इसे जल्दी शुरू करने के आग्रह पर सहमति बनी।
गौरतलब है कि बीएड प्रवेश परीक्षा का परिणाम व मेरिट जारी हुए लगभग एक महीने का वक्त हो चुका है लेकिन फिर भी विश्वविद्यालय की तरफ से बीएड प्रवेश के लिए कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। इस देरी की वजह से बीएड करने वाले छात्रों में भी चिंता व्याप्त है।
बता दे कि, नियमानुसार एक सेमेस्टर में 90 दिन का अध्यापन कार्य होना जरूरी है, परंतु इस देरी की वजह से पिछले 10 सालों से यह संभव नहीं हो पा रहा है व छात्रों की परीक्षाएं देरी से आयोजित होती हैं और परीक्षा परिणाम भी समय पर नहीं निकलते। जिसकी वजह से उन्हें अगले कोर्स में प्रवेश लेने में भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
छात्र 2 साल के बीएड कोर्स के ख़तम होने व 4 साल की बीएड शुरू को लेकर भी चिंतित देखे जाते हैं परंतु बैठक में ये निर्णय लिया गया कि इस विषय पर भ्रांतियाों को रोका जाना चाहिए, वास्तविकता में बिल्कुल स्पष्ट है कि यह कोर्स निरंतर चलता रहेगा व 4 साल के बीएड कोर्स के शुरू होने के बाद भी इसमें कोई बदलाव नहीं होगा व इसकी मान्यता हमेश बरकरार रहेगी।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की तरफ से भी इस कोर्स को बंद करने का ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। मैनेजमेंट कोटा की सीट के संदर्भ में बैठक में निर्णय लिया गया कि जो भी हिमाचल प्रदेश सरकार के नियमों के तहत कोटा की फीस तय की जाएगी वह सभी बीएड कॉलेज प्रबंधनों को मंजूर होगी।
हिमाचल प्रदेश बीएड कॉलेज वेलफेयर एसोसिएशन इस विषय पर सरकार के साथ है। इसलिए भ्रांतियों से बचते हुए जल्दी से जल्दी काउंसलिंग की प्रक्रिया विश्वविद्यालय द्वारा शुरू की जानी चाहिए। अंत में अध्यक्ष महोदय को धन्यवाद प्रस्ताव देते हुए बैठक समाप्त हुई।