धावक सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि 45 साल की उम्र से दौड़ना शुरू किया था। धीरे-धीरे राष्ट्रीय और इंटरनेशनल इवेंट में हिस्सा लेना शुरू किया। उन्होंने बताया कि अब तक दर्जनों मेडल जीत चुके हैं। अब अगला लक्ष्य यूरोप में होने वाली अर्तराष्ट्रीय मास्टर्ज एथलेक्टिस प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर गोल्ड मेडल जीतना का है।
हमीरपुर – ज्योति पठानियां
उम्र के एक पड़ाव में जहां इसान आराम करना पंसद करता है, लेकिन हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर शहर के वार्ड-2 के धावक सुरेन्द्र सिंह की कहानी उलट है। 67 साल की उम्र में उन्होंने दर्जनों मेडल जीतकर सभी को हैरान कर दिया है।
हाल ही में मलेशिया ओपन मास्टर्ज एथलेक्टिस मीट में सुरेंद्र तीन पदक जीत कर लाए हैं। धावक सुरेन्द्र इस उम्र में भी पांच किलोमीटर से लेकर पचास किलोमीटर की दौड में हिस्सा ले चुके हैं।
जानकारी के अनुसार, सुरेन्द्र सिंह ने 7 बार नेशनल ओपन मास्टर्ज में हिस्सा लिया है। आठ गोल्ड मेडल, तीन सिल्वर के अलावा, इसी वर्ष मलेशिया में हुई मास्टर्ज एथलेक्टिस में दो सिल्वर और ब्रॉंज मेडल जीता है।
इससे पहले, वर्ष 2023 में ही एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज और थाईलेंड में एक सिल्वर मेडल 1500 मीटर दौड में जीता था। सुरेन्द्र सिंह चेन्नई, बैंगलोर, कलकता, गुजरात, पटियाला मणिपुर राज्यों में भी मास्टर्ज एथलीट में अपना प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुके हैं।
सुरेंद्र सिंह ने मलेशिया ओपन मास्टर्स एथलेटिक्स मीट में 800 मीटर रेस में कांस्य, 1500 मीटर रेस में रजत तथा 3000 मीटर में भी रजत पदक जीतकर भारतवर्ष का नाम रोशन किया। 67 वर्ष की आयु में भी खेल मैदान से जुड़े रहना अपने आप में एक मिसाल है।
17 साल तक आर्मी में सेवाएं दे चुके सुरेन्द्र सिंह रोजाना सुबह शाम खेल मैदान में प्रेक्टिस करते हैं और अपने शरीर को फिट रखने के लिए एक्टिव रहते हैं. कोविड माहमारी के दौरान भी सुरेन्द्र ने अपने दौड़ने के शौक कायम रखा था।
45 साल के थे तब लगा चस्का
धावक सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि 45 साल की उम्र से दौड़ना शुरू किया था. धीरे-धीरे राष्ट्रीय और इंटरनेशनल इवेंट में हिस्सा लेना शुरू किया। उन्होंने बताया कि अब तक दर्जनों मेडल जीत चुके हैं।
अब अगला लक्ष्य यूरोप में होने वाली अर्तराष्ट्रीय मास्टर्ज एथलेक्टिस प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर गोल्ड मेडल जीतना का है। सुरेंद्र सिंह ने बच्चों को नशे से दूर रहने की नसीहत दी तथा अपनी सफलता का श्रेय अपनी कड़ी मेहनत और लगन को दिया। उन्होंने खिलाड़ियों से कहा कि कड़ी मेहनत से ही खिलाडी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकते हैं।
युवा भी ले रहे प्रेरणा
सुरेन्द्र सिंह की धर्मपत्नी मीरा ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि बहुत अच्छा लगता है जब सुरेन्द्र मेडल जीत कर लाते है।उन्होंने कहा कि जब कभी भारत से बाहर जाते हैं तो फोन पर हौंसला-अफजाई करते हैं। स्थानीय युवक जोगिन्द्र सिंह ने बताया कि 67 साल में मेडल जीतना हैरानी की बात है. युवा भी अब सुरेन्द्र से प्ररेणा ले रहे हैं।