दूरदराज से आए मरीजों को इलाज के दौरान दूसरे मरीज के साथ बेड को साझा करने को होना पड़ रहा मजबूर
काँगड़ा – राजीव जस्वाल
प्रदेश सरकार ने अभी हाल ही में पेश किए बजट में ऐलान किया था की केजुअलिटी विभाग में एक बेड पर दो मरीज नहीं होंगे, इसके लिए केजुअलिट विभाग को अपग्रेड करके एमर्जेंसी विभाग में तबदील किया जाएगा, लेकिन डा. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज टांडा अस्पताल में अभी भी एक बेड पर दो मरीज इलाज करवाने के लिए मजबूर हैं।
हालांकि प्रदेश के दूसरे बड़े टांडा अस्पताल में 866 से ज्यादा बेड की व्यवस्था है, परंतु फिर भी मरीजों की संख्या इतनी अधिक है कि एक बेड पर दो-दो मरीज हैं। ऐसे में जो मरीज सीरियस हालत में अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचते हैं और जिन्हें ऐसी स्थिति में एक बेड की जरूरत होती है, उन्हें दूसरे मरीज के साथ बेड की साझा करना पड़ रहा है।
एक तरफ तो मरीज को आराम की सख्त जरूरत होती है और दूसरी और मरीज को दूसरे मरीज के साथ एक बेड में तंगदारी में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है। अगर इस समय देखा जाए, तो कोरोना काल अभी समाप्त नहीं हुआ है और दोबारा कोरोना के केसेज में दिन-प्रतिदिन बढ़ोतरी हो रही है।
ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग की अगर बात की जाए, तो एक बेड पर दो मरीज कैसे सोशल डिस्टेंसिंग को मेंटेन कर सकते है। विदित है कि टांडा अस्पताल में प्रदेश के सात जिलों के जिसमें जिला चंबा, मंडी, हमीरपुर, ऊना, कुल्लू, बिलासपुर और सबसे बड़े जिला कांगड़ा सहित लगभग 30 लाख से अधिक जनसंख्या के मरीज इलाज के लिए टांडा अस्पताल में भर्ती होते रहते हैं।
ऐसे में दूसरे जिलों से दूरदराज से आए हुए मरीजों को इलाज के दौरान दूसरे मरीज के साथ बेड को साझा करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। नॉर्मल कंडीशन के मरीज तो ऐसे तैसे एडजस्ट कर लेते हैं, परंतु एमर्जेंसी कंडीशन के मरीजों को भारी परेशानी झेलने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
ऐसे में मजबूरी में आए मरीजों के लिए एक बेड पर दो मरीजों को शेयर करने के अलावा कोई भी विकल्प भी नहीं बचता है। प्रदेश के दूसरे बड़े अस्पताल में अगर मरीज को एक बेड भी ना मिल पाए और दूसरे मरीज के साथ रहना पड़े तो इसके बारे में गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए।