जिला बिलासपुर आज 67 वर्ष का हो गया है। पहली जुलाई 1954 को हिमाचल प्रदेश में बिलासपुर रियासत का विलय कर दिया गया था। तबसे लेकर बिलासपुर ने कई उतार-चढ़ाव देखे तो विकसित भी हुआ और पूरी दुनिया में अलग पहचान है।
बिलासपुर, सुभाष चंदेल
जिला बिलासपुर आज 67 वर्ष का हो गया है। पहली जुलाई 1954 को हिमाचल प्रदेश में बिलासपुर रियासत का विलय कर दिया गया था। तबसे लेकर बिलासपुर ने कई उतार-चढ़ाव देखे तो विकसित भी हुआ और पूरी दुनिया में अलग पहचान है।
भाखड़ा बांध का निर्माण होने के बाद स्वास्थ्य की दृष्टि से बिलासपुर में एम्स संस्थान का निर्माण कोठीपुरा में लगभग पूरा होने जा रहा है। जिले में रेलवे लाइन पहुंचाने का कार्य प्रगति पर है। फोरलेन के प्रोजेक्ट प्रगति पर हैं। शिक्षा, उद्योग सहित हर वर्ग में बिलासपुर जिला अब उन्नत जिलों की सूची में शामिल है।
इसके अलावा कुछ हस्तियां ऐसी भी हैैं जिनके नाम से भी वर्तमान में बिलासपुर की पहचान दुनियाभर में है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा आज सामान्य दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैैं। वहीं बालीवुड की अभिनेत्री यामी गौतम ने भी अपनी प्रतिभा का डंका देश-दुनिया में बजाया है।
ज्ञात हो कि जब 15 अगस्त 1947 को जब अंग्रेजों ने भारत छोड़ा तो उस समय छह सौ छोटी-बड़ी रियासतें देश में थी। भारत व पाकिस्तान के टुकड़े होने के बाद जब बिलासपुर 12 अक्टूबर 1948 को अलग राज्य बना तो राजा आनंद चंद इसके मुख्यायुक्त बने।
पहली जुलाई 1954 को हिमाचल प्रदेश में बिलासपुर का विलय कर दिया गया और राजा आनंद चंद के स्वतंत्र कहलूर राज्य का सपना टूट गया। इस तरह से बिलासपुर भी हिमाचल प्रदेश का पांचवां जिला बन गया। राज सत्ता खत्म होते ही बिलासपुर में विकास के नए युग की शुरुआत हुई और यहां अब आशातीत विकास हर क्षेत्र में हुआ है।
नौ अगस्त 1961 को डूब गई थी बिलासपुर की धरोहर भाखड़ा बांध के निर्माण की योजना संयुक्त पंजाब के लेफ्टिनेंट गर्वनर लुईस डान के समय 1918 में बनाई गई। इसका निर्माण 1948 में शुरू हुआ और 1963 में इसे पूरा किया गया।
इसका उद्घाटन करते हुए भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि इस बांध का निर्माण आश्चर्यजनक तथा अद्वितीय है। बांध के निर्माण से बिलासपुर बुरी तरह से प्रभावित हुआ। सुप्रसिद्ध सांडू मैदान, यहां स्थित बाजार, मंदिर, प्राचीन महल, दो सौ के करीब गांव, चौंटा घाटी का उपजाउ क्षेत्र सहित सब नौ अगस्त 1961 को जलमग्न हो गया।
अब यहां उन स्थानों पर विश्व की सबसे बड़ी मानव निर्मित गोविंद सागर झील स्थापित है। इसमें मत्स्य पालन, नौकायान, जल क्रीड़ा सहित अनेक रोजगार के साधन उपलब्ध हो रहे हैं।
भारत सरकार के आर्केटेक्ट ने बनाया था बिलासपुर का नक्शा
राजा आनंद चंद ने जब भाखड़ा में पुराने शहर के जलमग्न होने का मसला भारत सरकार से उठाया था तो उस समय भारत सरकार के चीफ आर्केटेक्ट जुगलेकर ने नए शहर का नक्शा बनाया था।
नगर का निर्माण 1956 में शुरू हुआ था और 1963 में बनकर तैयार हुआ था। प्रथम अवस्था में इसे रौड़ा, डियारा और चंगर तीन सेक्टर के प्रारूप से पहचाना गया, लेकिन इसके बाद लोगों ने अपनी मर्जी से भवन बनाना शुरू कर दिया और आर्केटेक्ट के मुताबिक यह शहर विकसित नहीं हो सका।
धार्मिक स्थल
जिला बिलासपुर में सबसे बड़ा पावन स्थल नयना देवी मंदिर माना जाता है। यह ऐतिहासिक मंदिर हिंदुओं और सिखों का अति पावन स्थली है। दसवीं पातशाही गुरु गोविंद सिंह की माता नयना देवी के प्रति असीम विश्वास और श्रद्धा थी। इसके साथ ही नाहर सिंह मंदिर, व्यास गुफा, मार्कंडेय ऋषि मंदिर सहित अन्य धार्मिक स्थल हैं।
जिले की सीमाएं
जिला की सीमाएं मंडी, हमीरपुर, ऊना, सोलन के साथ सटी हैं। बिलासपुर का क्षेत्रफल 1167 वर्ग किलोमीटर है। बिलासपुर विशुद्ध रूप से पर्वतीय क्षेत्र है और इसे सात धारों के नाम से देशभर में जाना जाता था। इन सात धारों में धार नयना देवी, कोटधार, धार झंजियार, धार तियूण और धार स्त्रियुन, धार बंदला और बहादुरपुर धार।
प्रशासनिक
जिला की स्थापना के बाद 1954 में केवल दो तहसीलें और 12 परगने थे, लेकिन 24 जनवरी 1980 में बिलासपुर और घुमारवीं दो उपमंडल बनाए गए, इसके बाद दो तहसीलों के साथ नयना देवी में एक उपतहसील बनाई गई। 31 मार्च 1999 को झंडूता में एक तहसील स्थापित की गई।
विधानसभा क्षेत्र
1952 में जब हिमाचल प्रदेश में चुनाव हुए तो बिलासपुर एक अलग राज्य था। उस समय यहां पांच विधानसभा क्षेत्र थे जो अब चार हैं। पहले यह बिलासपुर से दीनानाथ, घुमारवीं से गुरसरन, कहलूर से संत राम, गेहड़वीं से ऊमावती और पांचवें क्षेत्र से कांशीराम विधायक निर्वाचित हुए थे।
जब हिमाचल में बिलासपुर का विलय हुआ तो सभी चुने हुए प्रतिनिधियों को विधानसभा में सदस्य माना गया। वर्ष 1963 तक बिलासपुर के पांच विधानसभा क्षेत्र रहे लेकिन 1967 में इन्हें घटाकर तीन कर दिया, इसके बाद 1972 में हुए पुनर्सीमांकन के दौरान यहां घुमारवीं, गेहड़वीं, सदर और कोट कहलूर चार विधानसभा में बांटा गया। जिला में अब चार विधायक मौजूद हैं।
बिलासपुर की मुख्य हस्तियां
रणबांकुरे : वीर जनरल जोरावर सिंह कहलूरिया बहादुरी का तमगा विक्टोरिया क्रास विजेता, कप्तान वीर भंडारी राम विक्टोरिया क्रास विजेता, सूबेदार संजय कुमार परमवीर चक्र विजेता।
कलाकार व साहित्यकार : फूलां चंदेल, गंभरी देवी, यामी गौतम (वालीबुड अभीनेत्री) मनसा पंडित, विजय राज उपाध्याय, सूबेदार वीर सिंह चंदेल मुख्य कलाकारों में शामिल हैं। वहीं साहित्यकारों में देवराज शर्मा, बंशी राम शर्मा, कन्हैया लाल दबड़ा, रूप शर्मा।