टांडा मेडिकल कालेज में तैयार भवन के उद्घाटन के कुछ महीनों बाद ही भीतर रिसने लगा बरसाती पानी, अभी तक अस्पताल का शुरू न हो पाना बना सवाल
काँगड़ा – राजीव जस्वाल
डाक्टर राजेंद्र प्रसाद आयुर्विज्ञान चिकित्सा महाविद्यालय टांडा अस्पताल में नवनिर्मित 44 करोड़ की लागत से बने जीएस बाली मदर एंड चाइल्ड अस्पताल के भवन में दरारें आ गई हैं। हाल ही में हुए उद्घाटन के कुछ महीनों बाद ही जीएस बाली मदर एंड चाइल्ड अस्पताल के भवन की दीवारों में दरारें आ गई हैं, जिसके कारण बरसात की शुरुआत में ही अस्पताल भवन की दीवारों से पानी अंदर रिसने लग गया है।
हैरानी की बात तो यह है कि उद्घाटन के इतने महीनों बाद भी जीएस बाली मदर एंड चाइल्ड अस्पताल को शुरू नहीं किया जा सका है और उद्घाटन की कोई पट्टिका भी अस्पताल के अंदर या बाहर नहीं लगाई गई है, क्योंकि चुनाव आचार संहिता के कारण नगरोटा बगवां से ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वर्चुअल उद्घाटन कर दिया था।

जीएस बाली मदर एंड चाइल्ड अस्पताल एक पहेली बन गया है। एक तरफ 44 करोड़ के भवन में रैंप ही नहीं बनाए गए हैं, शायद हिमाचल में यह पहला अस्पताल भवन होगा, जिसमें रैंप ही नहीं बनाए गए हैं। इस नवनिर्मित भवन में वेंटिलेटर व व्हील चेयर को ऊपरी मंजिलों में ले जाने के लिए रैंप ही नहीं बनाया गया है।
सीपीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा टांडा मेडिकल कालेज में जीएस बाली मदर एंड चाइल्ड अस्पताल भवन का निर्माण किया गया है। हालांकि इसमें नई तकनीक की लिफ्टें तो लगाई गई हैं, जो कि सीपीडब्ल्यूडी विभाग के अनुसार कभी खराब ही नहीं होंगी, लेकिन क्या यह सोच कर नए भवन में रैंप को नहीं बनाया गया है कि लिफ्टों की व्यवस्था तो है फिर रैंप की क्या जरूरत है, परंतु तीन मंजिला भवन में अगर लिफ्टें खराब हो जाएं या लाइट ही न हो या कोई एमर्जेंसी हो, तब ऐसी हालत में मरीज को ऊपरी मंजिलों में कैसे ले जाया जाएगा, यह प्रश्नचिन्ह लग गया है।
दूसरी तरफ यह मदर एंड चाइल्ड अस्पताल बनाया गया है, तो जाहिर सी बात है कि यहां गर्भवती महिलाएं आएंगी। गर्भवती महिलाएं, जच्चा-बच्चा का तो वैसे भी सीढियां चढ़ कर तीसरी मंजिल तक पहुंचना बहुत मुश्किल है। ऐसे में लाइट न होने या लिफ्ट के खराब होने की स्थिति में अन्य विकल्प रैंप ही बचता है, जो यहां नहीं बनाया गया है।

क्या टांडा अस्पताल प्रशासन ने रैंप की रूपरेखा नहीं सोची थी या सीपीडब्ल्यूडी ने इस व्यवस्था को जरूरी नहीं समझा। टांडा अस्पताल में गायनी विभाग में 50 बिस्तरों के कारण इसे बढ़ाकर 200 बिस्तर का किया गया था, ताकि अब जीएस बाली मदर एंड चाइल्ड अस्पताल नई सुविधाओं से परिपूर्ण हो।
अस्पताल में जीएस बाली मदर एंड चाइल्ड अस्पताल की नेम प्लेट्स भी सुनहरे गोल्डन अक्षरों से सुशोभित कर लगी है, परंतु आधी लाइटें रात को अकसर खराब रहती हैं। टांडा अस्पताल में अभी तक गायनी विभाग में केवल 50 बिस्तरों की सुविधा है, जिसके कारण गर्भवती महिलाओं को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। कई बार तो बिस्तर भी नहीं मिल पाते और कई बार एक बिस्तर दो-दो मरीजों को शेयर करना पड़ता है।

टांडा अस्पताल में प्रदेश के छह से ज्यादा जिलों के लोगों को उपचार की सुविधाएं मुहैया करवाता है, जिसमें 15 लाख से ज्यादा की आबादी वाला जिला कांगड़ा सहित चंबा, हमीरपुर, ऊना, मंडी, कुल्लू, बिलासपुर, आदि शामिल हैं। अभी तक मरीजों को उद्घाटन के कई महीने बीत जाने के बाद भी जीएस बाली मदर एंड चाइल्ड अस्पताल की सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं और न जाने मरीजों को कितना इंतजार और करना पड़ेगा।

