विकास के नाम पर लोगों के रोजगार का किया जा रहा विनाश, चेताया,अगर मांगे पूरी न हुई तो सड़कों पर उतरने को होंगे विवश
शाहपुर – अमित शर्मा
पठानकोट मंडी निर्माणाधीन फोरलेन शाहपुर में आकर विवादों में घेरे में आ गया है। आपको बता दें कि शाहपुर बाजार को बचाने के लिए शाहपुर बाजार बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले क्रमिक भूखहड़ताल भी की गई। राजनेताओं से आश्वासन के बाद भूख हड़ताल को स्थगित किया गया। इतना सब होने के बाबजूद भी प्रशासन द्वारा भूमि अधिग्रहण को लेकर जोर पकड़ा हुआ है।
इसी बीच आज शाहपुर बाजार बचाओ संघर्ष समिति के महासचिव नवनीत शर्मा ने मीडिया से रूबरू होकर बताया कि 32 मील से राजोल के पैच में फोरलेन 24 मीटर में बनाया जा रहा है। जबकि शाहपुर में आकर इसे 36 मीटर से 47 मीटर कर दिया गया है। जिसे अब तानाशाही तरीके से प्रशासन 4 मीटर और बढाने की फिराक में है। शाहपुर बाज़ार में ये फोरलेन न हो कर आठ लेन बन रहा है। जिसकी चपेट में लगभग 500 दुकानें आ रही हैं।
संघर्ष समिति शासन व प्रशासन से ये मांग करती है कि शाहपुर बाज़ार में फोरलेन की चौड़ाई 28 मीटर रखी जाए। जिससे लगभग एक हज़ार परिवारों की रोजी रोटी बच सके। देश के बहुत से फोरलेन 24 मीटर में बने हैं। सरकार लोगों को स्वरोजगार अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती है पर शाहपुर में रोजगार प्रदान करने बालों को ही उजाडा़ जा रहा है ये समझ से परे है।
शाहपुर बाज़ार 100 सालों से भी पुराना बसा है। जिस पर लगभग 20 पंचायतों के लोग खरीददारी के लिए निर्भर हैं। शाहपुर के इर्दगिर्द 25 किलोमीटर के क्षेत्र में कोई भी बड़ा बाज़ार नहीं है। गगल भी एयरपोर्ट की जद में आने से उजड़ रहा है।
उंन्होने कहा कि हम विकास के विरोधी नहीं है लेकिन शाहपुर में विकास के नाम पर विनाश न किया जाए। उंन्होने कहा कि शाहपुर बाज़ार बचाओ संघर्ष समिति किसी भी कीमत पर शाहपुर बाज़ार को उजड़ने नहीं देगी। अगर 28 मीटर में फोरलेन संभव नहीं है तो फलाईओवर बनाकर या बाईपास बनाकर लोगों का रोजगार बचाया जाए।
शाहपुर में एक दुकान का बाज़ार मुल्य एक करोड़ रुपये है। जबकि मुआवजे के तोर पर सिर्फ 3 से 4 लाख रुपये दिया जा रहा है। इसके इलावा किराएदारों की तो हालत और भी दयनीय है। उन्हें कोई मुआवजा भी नहीं मिल रहा और बसी बसाई दुकानदारी भी उजड़ रही है।
संघर्ष समिति पुनः शासन व प्रशासन से ये मांग करती है कि शाहपुर के एक किलोमीटर क्षेत्र में फोरलेन की चौड़ाई 28 मीटर रखी जाए ताकि 90 प्रतिशत लोगों का रोजगार बच सके। उंन्होने सरकार व प्रशासन को चेताया है कि यदि हमारी ये मांग न मानी गई तो हम सड़कों पर उतरने के लिए विवश होंगे। जिसकी सारी जिम्मेदारी शासन व प्रशासन की होगी।