शिमला – नितिश पठानियां
हिमाचल प्रदेश में चिड़ियाघर में जानवरों व पक्षियों को गोद लेने के लिए लोग, संस्थाएं व कंपनियों आगे नहीं आ रही हैं। इस वर्ष मात्र एक ही जानवर को एक कंपनी ने गोद लिया है। प्रीमियर एलकोबेव प्राइवेट लिमिटेड ने हिमालयन थार को गोद लिया है।
हिमालयन थार एक जंगली बकरी की प्रजाति है। वर्ष 2023-24 के दौरान 7 जानवरों/पक्षियों तथा वर्ष 2022-23 के दौरान 4 जानवरों/पक्षियों को गोद लिया था। चिड़ियाघर के वन्य जीवों को गोद लेने के लिए वन विभाग ने चिड़ियाघर के जानवरों को गोद लेने और दान करने की योजना चलाई है।
इसके तहत चिड़ियाघर में मौजूद किसी भी जानवर या पक्षी को व्यक्ति गोद ले सकता है। इसके लिए उसे बाकायदा वर्ष का शुल्क भी अदा करना होगा, लेकिन गोद लेने वाला व्यक्ति वन्य जीव को घर नहीं ले जा सकता है। उसे संबंधित वन्य जीव के भरण-पोषण के लिए वार्षिक शुल्क चुकाना होगा।
इसकी एवज में उसका नाम संबंधित वन्य जीव के बाड़े के बाहर लगाया जाता है। वन विभाग ने अलग-अलग वन्य जीव के लिए वर्ष का अलग-अलग शुल्क निर्धारित किया है। इसके तहत एशियाई शेर को गोद लेने के लिए वर्ष के 2 लाख रुपए अदा करने होंगे।
इसी तरह स्नो तेंदुए के लिए 1 लाख व आम तेंदुए के लिए डेढ़ लाख, काले भालू को 60,000 व भूरे भालू के गोद लेने का वार्षिक शुल्क 75,000 रुपए है। इसी तरह दूसरे वर्ग में सांबर को गोद लेने के लिए 40,000 रुपए, हिरण के लिए 50,000 रुपए, वर्ग 3 में जंगली सूअर के लिए 25,000, तेंदुआ बिल्ली, इमू, बाज, के लिए 15-15,000, घोरल के लिए 20,000 तथा वर्ग 4 में तीतर के लिए 12,000, लव बर्ड व कछुआ को गोद लेने के लिए 5,000-5,000 रुपए वर्ष के देने होंगे।
जो व्यक्ति चिड़ियाघर में जानवर को गोद लेता है उसके नाम का बोर्ड संबंधित जानवर के बाड़े के बाहर लगाया जाएगा,साथ ही उसे एक वर्ष के लिए 5 सदस्यों कंपलिमैंटरी पास दिए जाएंगे, जो इस पास पर किसी भी चिड़ियाघर में वर्ष में 12 बार जा सकते हैं। इसके अलावा इस राशि पर टैक्स रिबेट भी मिलेगा।