हिमखबर डेस्क
सोशल मीडिया पर झूठी या भ्रामक सामग्री परोसने वालों पर सख्ती होगी। केंद्र सरकार के संशोधित सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम को राज्य में लागू करने की तैयारी शुरू हो गई है। केंद्र ने बीते दिनों डिजिटल माध्यमों में जवाबदेही तय करने, पारदर्शिता बढ़ाने और फेक न्यूझ पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए एक्ट में संशोधन किया है।
22 अक्तूबर को भारत सरकार के राजपत्र में जारी हुई अधिसूचना के तहत सभी हितधारकों से छह नवंबर तक इस बाबत अपने सुझाव और आपत्तियां दर्ज करने का समय दिया है। इसी बीच हिमाचल सरकार ने एक्ट में हुए संशोधन पर मंथन शुरू कर दिया है।
केंद्र की ओर से संशोधन को लागू करते ही प्रदेश में भी इसे लागू किया जाएगा। मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार गोकुल बुटेल ने कहा कि जल्द ही केंद्र सरकार को प्रदेश सरकार के सुझाव भेजे जाएंगे। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग को राज्य की जरूरतों और संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए प्रस्ताव तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया है।
केंद्र सरकार ने हाल ही में आईटी एक्ट में ऐसे संशोधन किए हैं जिनके तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को अब अपनी सामग्री के लिए जवाबदेह बनना होगा। अगर किसी प्लेटफॉर्म पर झूठी या भ्रामक खबरें, एडिटेड वीडियो या अफवाहें प्रसारित होती हैं, तो कंपनी के साथ-साथ स्रोत व्यक्ति पर भी कार्रवाई की जा सकेगी।
सरकार ने फैक्ट-चेकिंग यूनिट को अधिकृत करने का निर्णय लिया है जो सरकारी और सार्वजनिक सूचनाओं की सटीकता की जांच करेगी। इन संशोधनों का उद्देश्य डिजिटल स्पेस को अधिक सुरक्षित, पारदर्शी और जिम्मेदार बनाना है। प्रदेश सरकार का मानना है कि बीते कुछ वर्षों में सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ और अफवाहों के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। कई बार गलत जानकारी से प्रशासनिक चुनौतियां और सामाजिक तनाव पैदा हुए हैं।
इस पृष्ठभूमि में राज्य सरकार एक ऐसा राज्य स्तरीय डिजिटल निगरानी तंत्र बनाने पर विचार कर रही है जो ऑनलाइन प्रसारित संवेदनशील सूचनाओं पर लगातार नजर रखेगा। आईटी विभाग इस व्यवस्था के तहत पुलिस, जनसंपर्क विभाग और जिला प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित करेगा ताकि फेक न्यूज़ से जुड़े मामलों पर तुरंत कार्रवाई हो सके।
संशोधित एक्ट में यह होने जा रहे हैं प्रावधान
फेक या भ्रामक सामग्री पोस्ट करने वालों पर जुर्माना और कारावास दोनों का प्रावधान होगा। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को किसी शिकायत के बाद निर्धारित समय सीमा में सामग्री हटानी होगी। बार-बार झूठी खबरें फैलाने वालों के अकाउंट को स्थायी रूप से ब्लॉक किया जा सकेगा। प्लेटफॉर्म को सुनिश्चित करना होगा कि कंटेंट का स्रोत और जिम्मेदार व्यक्ति ट्रेस हो सके।

