हिमाचल में TGT कमीशन के नए सिलेबस ने उड़ाई अभ्यर्थियों की नींद, परीक्षा से एक माह पहले झटका

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हिमखबर डेस्क 

हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग (एचपीआरसीए) द्वारा हाल ही में जारी किए गए टीजीटी कमीशन (नॉन-मेडिकल और मेडिकल) के नए सिलेबस ने प्रदेश भर के हजारों अभ्यर्थियों के बीच हड़कंप मचा दिया है।

आयोग ने दो दिन पूर्व जारी इस सिलेबस में मुख्य विषयों (फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स व बायोलॉजी) का आधार स्नातक (Graduation) और स्नातकोत्तर (Post-Graduation) स्तर तक बढ़ा दिया है, जिसने पिछले वर्षों के परीक्षा पैटर्न पर तैयारी कर रहे उम्मीदवारों की चिंता बढ़ा दी है।

अभ्यर्थियों का तर्क है कि 2018, 2019 और 2020 में आयोजित पिछले टीजीटी कमीशन परीक्षाओं का मुख्य आधार जमा एक (+1) व जमा दो (+2) स्तर तक सीमित था, जिसमें स्नातक स्तर के प्रश्न केवल 10% तक ही शामिल होते थे। इसी पुराने पैटर्न को देखते हुए, पिछले तीन सालों से अभ्यर्थी जमा एक व जमा दो के पाठ्यक्रम पर अपनी तैयारी कर रहे थे।

एक अभ्यर्थी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि 29 अक्टूबर को जारी हुए नए सिलेबस ने हमारी तीन साल की मेहनत पर पानी फेर दिया है। जब टीजीटी शिक्षक को 6वीं से 10वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को पढ़ाना है, तो सिलेबस को जमा एक और जमा दो स्तर तक रखना ही न्यायसंगत है।

ग्रेजुएशन और पोस्ट-ग्रेजुएशन स्तर का पाठ्यक्रम डालना अव्यावहारिक है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि सिलेबस में बदलाव करना ही था तो कम से कम 6 महीने पहले इस बात की सूचना दी जानी चाहिए थी, क्योंकि महज एक माह पहले मिली सूचना से तैयारी करना असंभव है।

नए सिलेबस में न केवल विषयवस्तु बल्कि अन्य खंडों को लेकर भी गंभीर आपत्तियां उठाई गई हैं। साइकोलॉजी खंड में सीधे तौर पर विषयवस्तु या टॉपिक देने के बजाय बी.एड. प्रथम और द्वितीय वर्ष की कुछ किताबों के नाम ही सुझाए गए हैं।

अभ्यर्थियों का कहना है कि तैयारी को केंद्रित करने के लिए स्पष्ट टॉपिक मेंशन किए जाने चाहिए। सिलेबस में करेंट अफेयर्स का मानक 10वीं कक्षा तक का बताया गया है।

उम्मीदवारों ने सवाल उठाया है कि करेंट अफेयर्स का कोई ‘स्टैंडर्ड’ नहीं होता, यह विषय पिछले 6 माह से 1 वर्ष तक की घटनाओं पर आधारित होता है।

समस्त टीजीटी उम्मीदवारों ने हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग से तत्काल हस्तक्षेप करने की अपील की है। उन्होंने विनम्रतापूर्वक अनुरोध किया है कि आयोग जनहित में और परीक्षा की शुचिता को बनाए रखने के लिए, पाठ्यक्रम को 2020 के कमीशन पैटर्न के आधार पर ही रखे।

विशेष रूप से, मुख्य विषयों (फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स और बायोलॉजी) का आधार प्लस वन और प्लस टू स्तर तक ही रखा जाए, जो कि टीजीटी शिक्षकों की शैक्षिक आवश्यकता के अनुरूप है।

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