हिमाचल में हृदय विदारक मंजर, पिता ने दी इकलौते बेटे को मुखाग्नि, मां टकटकी लगा रही थी देख
नाहन, 19 जून – नरेश कुमार राधे
एक ऐसा हृदय विदारक मंजर, जिसकी कल्पना मात्र से ही आपका दिल पसीज जाएगा लेकिन असल लाइफ में कुदरत के एक ऐसे फैसले का ‘बिश्नोई परिवार’ ने सामना किया, जिसे प्रत्यक्ष देखकर बुधवार को मोक्ष धाम में सैंकड़ों आंखें भर आई।
एक तरफ आकाश बिश्नोई अपने इकलौते बेटे दिव्यांश बिश्नोई को मुखाग्नि दे रहे थे, तो दूसरी तरफ मां शालू परमार अपने बेटे को पंचतत्व में विलीन होता देख रही थी। मां का दिल था, जैसे ही इकलौते बेटे की अंतिम यात्रा शुरू हुई तो वो नंगे पांव ही पीछे-पीछे चल दी। मां को किसी ने नहीं रोका, क्योंकि हर कोई जानता था कि अचानक ही स्वस्थ बेटे के संसार से चले जाने पर मां के दिल पर क्या गुजरती है।

मोक्षधाम में पहुंचे सैंकड़ों लोगों ने कतारबद्ध होकर स्व. दिव्यांश के माता-पिता को ढांढस बंधाया। साथ ही जीवन की चुनौती का सामना करने के लिए भी प्रेरित किया। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि शायद जीवन में ऐसा मंजर पहली बार ही देखा है, जब पिता अपने जवान बेटे को मुखाग्नि दे रहा है, वहीं मां भी टकटकी लगाए अपने बेटे को पंचतत्व में विलीन होते देख रही है।
हंसते-खेलते परिवार में मां एक साल बाद शादी का सपना संजोए हुए थी। मगर कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। स्व. दिव्यांश के जीवन में सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में करियर की पहली नौकरी की शुरुआत भी कर ली थी।
हंसमुख स्वभाव का दिव्यांश अपने पीछे सुनहरी यादों को छोड़ गया है, जिसे सीने से लगाकर परिवार को जीवन की कठिन डगर पर चलना होगा, क्योंकि यही कुदरत का नियम है। 17 जून की सुबह शहर को ये हृदय विदारक खबर मिली कि शिक्षा विभाग में मुख्याध्यापिका शालू परमार व अधीक्षक आकाश बिश्नोई का इकलौता बेटा संसार में नहीं रहा है।

ये दुखद खबर सोशल मीडिया में आग की तरह फैली। 18 जून की शाम पिता आकाश बेटे के पार्थिव शरीर को लेकर अहमदाबाद से नाहन पहुंचे। 19 जून की दोपहर दिव्यांश बिश्नोई हमेशा के लिए पंचतत्व में विलीन हो गया। ईश्वर दिव्यांश की आत्मा को शांति प्रदान करे।