शिमला – नितिश पठानियां
हिमाचल प्रदेश में मूसलाधार बारिश ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। प्रदेश के अधिकांश जिलों में भारी बारिश के कारण भूस्खलन की घटनाएं बढ़ गई हैं। राज्य के अधिकांश जिलों में भूस्खलन, सड़कें बंद होने, बिजली और पानी की आपूर्ति ठप होने जैसी घटनाओं ने हालात बिगाड़ दिए हैं। प्रशासन राहत और बहाली के कार्यों में जुटा हुआ है, लेकिन मौसम विभाग ने 7 जुलाई तक भारी बारिश का अलर्ट जारी कर चिंता और बढ़ा दी है।
राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेशभर में 406 सड़कें, 1515 ट्रांसफार्मर और 171 पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं। सबसे ज्यादा असर मंडी जिले में देखने को मिला है, जहां 248 सड़कें बंद हैं और 994 ट्रांसफार्मर ठप हो गए हैं। करसोग, थुनाग, गोहर और धर्मपुर जैसे क्षेत्रों में हालात खराब हैं।
शिमला जिले में कोटखाई, चौपाल और चिड़गांव में 32 सड़कें अवरुद्ध हैं, जबकि 103 जल योजनाएं और 45 ट्रांसफार्मर प्रभावित हुए हैं। सिरमौर जिले के राजगढ़, संगड़ाह और पांवटा में 21 सड़कें बंद हैं और अकेले राजगढ़ में 350 ट्रांसफार्मर ठप पड़े हैं।
अन्य जिलों की स्थिति भी चिंताजनक है। कांगड़ा में 55 सड़कें और 39 जल योजनाएं प्रभावित हैं, कुल्लू में 37 सड़कें और 52 ट्रांसफार्मर, चंबा में भटियात व तीसा डिवीजनों में सड़क, ट्रांसफार्मर और जल योजनाएं प्रभावित हुई हैं। ऊना में आठ सड़कें, सोलन के अर्की में दो सड़कें और छह ट्रांसफार्मर बंद हैं। लाहौल-स्पीति में भी 5 ट्रांसफार्मर काम नहीं कर रहे हैं।
बीते 24 घंटों के दौरान प्रदेश में इस मानसून सीजन की सबसे भीषण बारिश दर्ज की गई है। मंडी जिले के संधोल में 220 मिलीमीटर, पंडोह में 210 मिमी, बिजाही में 200 मिमी, करसोग में 160 मिमी, पालमपुर व चौपाल में 140 मिमी बारिश हुई। मंडी जिले में बादल फटने की घटनाओं में चार लोगों की मौत हो गई जबकि 16 लोग अब भी लापता हैं।
प्रदेश सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे अनावश्यक यात्रा से बचें और मौसम विभाग द्वारा जारी चेतावनियों का पालन करें। प्रशासन ने सभी जिलों में राहत और पुनर्बहाली कार्य तेज कर दिए हैं ताकि जनसुविधाएं जल्द बहाल की जा सकें।