शिमला – नितिश पठानियां
हिमाचल प्रदेश में आउटसोर्स पर कोई भर्तियां नहीं होंगी। हाईकोर्ट ने बुधवार को सरकार की दरख्वास्त खारिज कर आउटसोर्स भर्तियों पर लगी रोक को जारी रखा। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने कहा कि सरकार की यह पॉलिसी संविधान के अनुच्छेद -16 की अवहेलना है। इसके तहत सिर्फ शोषण किया जा रहा है और इससे समाज के सभी वर्गों को बराबरी का मौका नहीं दिया जा रहा।
खंडपीठ ने कहा कि आउटसोर्स नीति सीमांत है। सरकार आउटसोर्स के बजाय स्थायी नौकरियों का प्रावधान करे, जिससे जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाए। कोर्ट ने कहा कि आउटसोर्स भर्तियों की प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं अपनाई जा रही। बिना वित्तीय नियम अपनाए आउटसोर्स पर की जा रही भर्तियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
खंडपीठ ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि एक कल्याणकारी राज्य होने के तहत सरकार को कम से कम स्वास्थ्य महकमे में नर्सों की आउटसोर्स पर भर्तियां नहीं करनी चाहिएं। सरकार ने आउटसोर्स भर्तियों पर लगी रोक हटाने के लिए हाईकोर्ट में आवेदन दायर किया था। नर्सों की ये भर्तियां राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत आउटसोर्स पर की जानी थीं, जिसके लिए सरकार ने विज्ञापन भी जारी कर दिया था।
याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि आरएंडपी रूल्स के तहत प्रदेश में नर्सों के पदों की भर्तियां सीधे 45 फीसदी बैच आधार पर और बाकी की लिखित परीक्षा करवाई जाती है, लेकिन यहां पर ऐसा नहीं किया जा रहा है। जो कंपनियां इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन में सूचीबद्ध हैं, वे एजेंसियां खुद कटघरे में हैं। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाए हैं कि प्रदेश में 110 कंपनियां फर्जी पाई गई हैं। भर्ती के कोई नियम नहीं हैं।
केंद्र सरकार की पॉलिसी के तहत केवल चतुर्थ श्रेणी के पदों को ही आउटसोर्स किया जाता है, जबकि हिमाचल में तृतीय श्रेणी को भी आउटसोर्स पर किया जा रहा है। प्रदेश में विधि अधिकारी, जेऐओ आईटी, शिक्षक आदि के पदों को सरकार ने पहले ही आउटसोर्स पर भर दिया है।
न्यायाधीश तरलोक सिंह और सत्येन वैद्य की अदालत ने 7 नवंबर को इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन की ओर से विभागों में की जा रही सभी भर्तियों पर रोक लगा दी थी। खंडपीठ ने कंपनियों को और उम्मीदवारों का सारा डाटा बेवसाइट पर अपलोड करने के निर्देश दिए हैं।