बिलासपुर – सुभाष चंदेल
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कोठीपुरा, जिला बिलासपुर में राष्ट्रीय आविष्कार अभियान के तहत विद्यार्थियों को सेल्फ मेडिकेशन और ओवर द काउंटर पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस मौके पर डॉ यानशीन, सहायक प्रोफेसर, डॉ मीनाक्षी, सहायक प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ़ फार्माकोलॉजी एम्स बिलासपुर ने खास तौर पर शिरकत की।
बच्चों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आज के समय में व्यस्त जीवनशैली, बढ़ती महंगाई और इंटरनेट पर बढ़ती निर्भरता के कारण सेल्फ मेडिकेशन लोगों की आदत बन चुकी है।
बिना किसी स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लिए लोग फार्मासिस्ट को समस्या के लक्षण बताकर दवाई ले लेते हैं। हालांकि, ये आदत गंभीर बीमारी को जन्म दे सकती है।
ड्रग्स सेल्फ मेडिकेशन या स्व-चिकित्सा का मतलब अपनी बीमारियों के बारे में गूगल या इंटरनेट से पता करना और कम से कम जानकारी के आधार पर बिना किसी विशेषज्ञ की देखरेख के दवाएं लेना है। यह सेहत के लिए कई प्रकार से खतरनाक हो सकती है।
बीमारियों से बचे रहने के लिए नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच कराते रहना सबसे बहुत जरूरी है। इससे समय रहते गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में पता चल जाता है जिससे इलाज प्राप्त करना और ठीक होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
साथ ही उन्होंने कहा कि हमारे समाज में बीमारियों के इलाज को लेकर जो एक सबसे बड़ी खामी देखी जा रही है वो है, बिना डॉक्टर से पूछे खुद से ही दवा लेकर खा लेना। इसे मेडिकल की भाषा में सेल्फ मेडिकेशन कहते हैं।
ओवर-द-काउंटर दवा लेकर आप फौरी तौर पर समस्या से तो आराम पा लेते हैं पर क्या आपको पता है कि दीर्घकालिक रूप से आपकी ये आदत कई प्रकार से नुकसानदायक हो सकती है? कई अध्ययनों में लंबे समय तक पेनकिलर या ओवर-द-काउंटर मेडिसिन लेने के कारण किडनी और कई अन्य अंगों के फेलियर का खतरा भी देखा जाता रहा है।
इसी से संबंधित एक हालिया रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने बताया कि दर्द निवारक दवाओं के बार-बार या अधिक सेवन के कारण हार्ट अटैक और आंतरिक रक्तस्राव होने का जोखिम हो सकता है। इस मौके पर स्कूल प्रधानाचार्या निर्मला ठाकुर समेत सभी अध्यापक व प्राध्यापक उपस्थित रहे।