सीएम ने चिट्ठी लिख किया था मरहम का वादा, प्रशासन ने किया ख़ारिज
हिमखबर डेस्क
हिमाचल प्रदेश के सोलन जनपद के दाड़लाघाट के पीपुलघाट गांव के रहने वाले मुकेश कुमार का परिवार ठंड में टूटी-फूटी छत के नीचे रहने को मजबूर है। दिसंबर 2023 में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मुकेश कुमार की परेशानियों को समझते हुए एक चिट्ठी लिखी थी। यह चिट्ठी परिवार के जख्मों पर मरहम लगाने का वादा थी। लेकिन क्या वाकई ऐसा हुआ?
तकनीकी खामियों ने रोकी राहत
कई बार अधिकारी आए और गए, बैंक खाता नंबर भी लिया गया, लेकिन परिवार को राहत नहीं मिली। वजह यह बताई गई कि जिस जमीन पर घर था, वह मुकेश कुमार के नाम पर नहीं, बल्कि उनके पिता के नाम पर दर्ज है। क्या यह महज तकनीकी गलती है या सिस्टम की हकीकत? सवाल यह भी उठता है कि क्या स्थानीय प्रशासन ने इस मामले में सरकार से समाधान के लिए पत्राचार किया या नहीं?
बच्चों के लिए सुरक्षित घर का सवाल
मुकेश कुमार के दो छोटे बच्चे, एक 10 साल का और दूसरा 9 साल का, बेहद जोखिम भरे माहौल में रह रहे हैं। एक गरीब दिहाड़ीदार, जिसने मुश्किल से दो कमरे बनाए थे, अब उस जमीन पर भी नहीं रह सकता क्योंकि वहां हर वक्त खतरा मंडराता है। क्या प्रशासन इतने कमजोर परिवार को सुरक्षित स्थान नहीं दे सकता?
प्रशासनिक नियम या इंसानियत की अनदेखी?
बड़ा सवाल यह भी है कि क्या कागजी नियम गरीबों की जिंदगी से ज्यादा अहम हैं? मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मरहम लगाने का जो वादा किया था, वह कब जमीन पर दिखाई देगा? हिमाचल का प्रशासन कब इस गरीब परिवार को न्याय देगा?
जरूरत है कि प्रशासन संवेदनशीलता और त्वरित समाधान से आगे आए ताकि मुकेश जैसे परिवार सुरक्षित जीवन जी सकें। कागजी प्रक्रिया के जाल में फंसे इस परिवार को राहत देने के लिए एकजुटता, जिम्मेदारी और इंसानियत को प्राथमिकता दी जाए। सेवा का असली अर्थ तभी होगा, जब हर जरूरतमंद को उसकी जगह और अधिकार मिलेगा।