मंडी – अजय सूर्या
11 हजार फीट की उंचाई पर स्थित मंडी जिला के प्रसिद्ध शक्तिपीठ माता शिकारी देवी मंदिर के कपाट कल यानी 15 नवंबर शुक्रवार से श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाएंगे। सर्दी के मौसम के दौरान यहां पड़ने वाली कड़ाके की ठंड और होने वाली भारी बर्फबारी के चलते यह निर्णय लिया गया है।
शिकारी माता मंदिर कमेटी के अध्यक्ष व एसडीएम थुनाग रमेश सिंह ने बताया कि सर्दी के मौसम में होने वाली संभावित बर्फबारी के कारण मंदिर के रास्तों व सड़क भारी बर्फबारी के कारण बंद हो जाती है। जिससे इनपर सफर कर पाना संभव नहीं होता। ऐसी स्थिति में हादसों का खतरा भी बढ़ जाता है।
जिसके चलते श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हर वर्ष मंदिर को सर्दियों के मौसम में श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया जाता है। सर्दियों के मौसम के बाद जब बर्फ पिघल जाएगी तो उस वक्त मंदिर जाने के लिए आदेश जारी कर दिए जाएंगे।
एसडीएम थुनाग ने सभी श्रद्धालुओं से अपील की है कि ठंड व बर्फबारी के दौरान किसी भी तरह का जोखिम उठाकर मंदिर जाने की कोशिश न करें। बता दे मंडी जिला में 11 हजार फीट की ऊंचाई पर विराजमान माता शिकारी देवी में हर वर्ष नवंबर महीने के अंत में बर्फबारी शुरू हो जाती है।
बर्फबारी का यह सिलसिला अगले 3-4 महीनों तक जारी रहता है। यहां कई फीट बर्फ गिरती है। मौसम खुलने के बाद मार्च के अंत या अप्रैल महीने के पहले सप्ताह में माता शिकारी देवी मंदिर के कपाट खुलने की संभावना रहती है।
आज भी छत से विहीन है यह मंदिर, मूर्तियों के स्थान पर कभी भी नहीं टिकती बर्फ
शिकारी शिखर की पहाड़ियों पर स्थित देवी का यह मंदिर आज भी छत से विहीन है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने करवाए था। मान्यता के अनुसार मार्कंडेय ऋषि ने इस स्थान पर कई वर्ष तपस्या की थी। उनकी तपस्या से खुश होकर मां दुर्गा अपने शक्ति रूप में इस स्थान पर स्थापित हुई। वहीं बाद में इस स्थान पर अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने भी तपस्या की।
पांडवों की तपस्या से खुश होकर मां दुर्गा प्रकट हुई और पांडवों को युद्ध में जीत का आशीर्वाद दिया। उसी समय पांडवों ने मंदिर का निर्माण करवाया लेकिन किसी कारण इस मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हो सका और पांडव यहां पर मां की पत्थर की मूर्ति स्थापित करने के बाद चले गए। यहां पर हर साल सर्दियों में कई फीट बर्फ गिरती है, परंतु मूर्तियों के स्थान पर कभी भी बर्फ नहीं टिकती है, जो किसी चमत्कार से कम नहीं है।
वर्षाे-वर्ष कई कोशिशों के बाद भी इस रहस्यमयी मंदिर की छत नहीं बन पाई। ऐसा नहीं है कि इस यहां पर छत बनने की कोशिश नहीं की गई। कई बार यहां छत भी बनाई गई लेकिन टिक नहीं पाई। शिकारी माता स्थान पर खुले आसमान के नीचे रहना ही पसंद करती है।