शिमला में 190 साल पुरानी धरोहर इमारत ‘राजभवन’ को गिराने का प्रस्ताव, जानें इतिहास

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शिमला – जसपाल ठाकुर
190 साल से ज्यादा पुरानी ऐतिहासिक धरोहर इमारत बार्नेस कोर्ट वर्तमान में राजभवन शिमला को गिराने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इस इमारत को गिराकर नए सिरे से खड़ा किया जाएगा।

निर्माण अवधि में राज्यपाल को पीटरहॉफ  में बैठाने की तैयारी है, क्योंकि भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान ने राज्यपाल को वहां बैठाने का प्रस्ताव ठुकरा दिया है। वर्ष 1832 से पहले बने ऐतिहासिक बार्नेस कोर्ट भवन में अंग्रेजों के शासनकाल में उनके कमांडर-इन-चीफ रहते थे, जबकि वर्तमान में यहां राजभवन चल रहा है।

लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) के अलावा तीन एजेंसियों ने इसका निर्माण ऑडिट भी कर लिया है, जिसके अनुसार इस भवन के पुरानी धज्जी दीवार तकनीक से बने होने के कारण इसका जीर्णोद्धार मुश्किल हो गया है, जबकि इस भवन को गिराकर उसी ढांचे में दोबारा तैयार करना आसान बताया गया है।

राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर की मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मंत्रणा के बाद सचिव ने मुख्य सचिव रामसुभग सिंह को इसका प्रस्ताव भेजा है, जिसमें इसकी प्रारंभिक लागत करीब 44 करोड़ रुपये आंकी गई है।
राजभवन शिमला।

 

हालांकि लागत और बढ़ेगी। अब इसके लिए सरकार की हरी झंडी का इंतजार है। हालांकि, कर्ज में डूबी जयराम सरकार इसके लिए कहां से बजट लाएगी, यह भी इसकी एक अलग समस्या होगी। राजभवन से सरकार को भेजे प्रस्ताव में दो विकल्पों हैं। या तो इसे गिराकर नए सिरे से हेरिटेज नियमों के तहत बनाएं या पुराने ढांचे का ही जीर्णोद्धार करें।
राजभवन शिमला।

 

भवन को गिराकर दोबारा उसी तरह का ढांचा बनाने की न्यूनतम लागत लगभग 44 करोड़ होगी, जबकि जीर्णोद्धार पर अनुमानित व्यय 22 करोड़ रुपये आंका गया है। हालांकि दोनों परिस्थितियों में लागत बढ़ भी सकती है। एनजीटी के कड़े निर्देश पर इसे पुराने स्वरूप के तहत ही बनाना पड़ेगा, जैसे गेयटी थियेटर और टाउन हॉल बने हैं। इसके लिए राजभवन की पूरी वीडियोग्राफी की जा चुकी है।
लोनिवि

 

लोनिवि के अलावा तीन एजेंसियां कर चुकीं निर्माण ऑडिट 
लोनिवि के अलावा थापर यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ एनआईटीटीआर और स्याल कंस्ट्रक्शंस ने इसका निर्माण ऑडिट किया है। तर्क दिया है कि इसकी दीवारें बैठ रही हैं। एक भाग दो फीट नीचे बैठ गया है तो पीछे वाला ऊपर है।
कमरे भी लेवल में नहीं हैं। पूरा राजभवन धज्जी दीवार पर बना है। इसमें देवदार की लकड़ी का इस्तेमाल किया गया, जो अब सड़ने लगी है। ऐसे में इसका पुनर्निर्माण करना सही होगा।
राज्यपाल हिमाचल

 

चोटिल होने से बाल-बाल बचे थे राज्यपाल, उसी के बाद बनी योजना 
फरवरी में राजभवन के छज्जे का एक टुकड़ा गिरने पर राज्यपाल चोटिल होने से बाल-बाल बचे थे। उसके बाद राज्यपाल ने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को भी राजभवन बुलाकर इस पर चर्चा की। इस दौरान राजभवन के जीर्णोद्धार और मरम्मत की संभावना पर बात हुई।
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