विश्व तंबाकू निषेध दिवस: कभी नहीं किया सिगरेट-तंबाकू का सेवन, फिर भी हो रहा कैंसर, आखिर क्यों

--Advertisement--

हिमखबर डेस्क

हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य दुनियाभर के लोगों को तंबाकू के घातक प्रभावों के प्रति जागरूक करना और उन्हें इसके सेवन से रोकने के लिए प्रेरित करना होता है। ये नशा एक बार शुरू हो जाए तो छोड़ना मुश्किल हो जाता है और धीरे-धीरे व्यक्ति को मौत की ओर धकेलता है।

तंबाकू चाहे सिगरेट के रूप में हो, बीड़ी में हो, गुटखा, खैनी या पान मसाला के रूप में हर रूप में यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसका सेवन न केवल शरीर को बीमार करता है, बल्कि व्यक्ति को मानसिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से भी कमजोर बनाता है। इससे कैंसर, जिसे कर्क रोग भी कहते हैं होने की संभवना रहती है।

तंबाकू और धूम्रपान न केवल सेवन करने वालों के लिए, बल्कि आसपास के लोगों के लिए भी घातक साबित हो सकते है। ये बात आईजीएमसी में कैंसर विशेषज्ञ डॉ. दीपक तुली ने कही। उन्होंने तंबाकू और धूम्रपान से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों को लेकर लोगों को जागरूक करते हुए कहा कि ‘तंबाकू से होने वाले नुकसान को लेकर सही जानकारी का होना बेहद आवश्यक है।

कई बार हमारे पास ऐसे मरीज आते हैं, जिन्होंने जीवन में कभी धूम्रपान या तंबाकू और अन्य नशे का सेवन नहीं किया, फिर भी उन्हें कैंसर हो जाता है। इसका ये मतलब नहीं कि कैंसर सिर्फ तंबाकू का सेवन करने वालों को ही होता है। तंबाकू का सेवन न करने वालों को भी कैंसर हो जाता है, लेकिन जो लोग तंबाकू या अन्य नशे का सेवन करते हैं, उनमें कैंसर की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।’

पैसिव स्मोकिंग भी खतरनाक

डॉ. तुली ने कहा कि ‘तंबाकू का सेवन करने वालों में फेफड़ों का कैंसर, गले का कैंसर, मुंह का कैंसर और भोजन नली का कैंसर होने की संभावना अधिक होती है। धूम्रपान करने वाला व्यक्ति न केवल अपने स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि उसके आसपास मौजूद लोग भी इससे प्रभावित होते हैं। ओपीडी में हर दिन मुंह के कैंसर से पीड़ित मरीज आते हैं और उनकी हिस्ट्री में तंबाकू सेवन की जानकारी पाई जाती है।

फेफड़ों के कैंसर के मरीजों की हिस्ट्री खंगालने पर यह सामने आता है कि वो सभी धूम्रपान करने वाले होते हैं। कई बार महिलाओं में भी फेफड़ों का कैंसर पाया गया है और पूछने पर पता चला कि वो तंबाकू का सेवन नहीं करती हैं, लेकिन उनके पति घर में बीड़ी-सिगरेट पीते हैं। इससे यह साफ है कि निष्क्रिय धूम्रपान (पैसिव स्मोकिंग) भी उतना ही खतरनाक है, जितना कि अपने मुंह से धूम्रपान करना।’

ओपीडी में रोजाना आ रहे मरीज

डॉ. तुली का कहना था कि ओपीडी में प्रतिदिन तम्बाकू से होने वाले कैंसर के 2 से 3 मरीज आते है और उनका इलाज किया जाता है। तंबाकू छोड़ने से कैंसर का खतरा धीरे-धीरे कम होता है और साल दर साल इसका जोखिम घटता जाता है, इसलिए तंबाकू और धूम्रपान से दूरी बनाना और लोगों को इसके दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करना बेहद जरूरी है।

दोबारा भी हो सकता है कैंसर

कैंसर एक जानलेवा बीमारी है, लेकिन समय पर इलाज होने से मरीज की जान बच जाती है और मरीज रोग मुक्त हो जाता है, लेकिन कई बार हम देखते हैं पूरी तरह कैंसर से निजात पाने के बाद भी कुछ समय उपरांत मरीज फिर इसकी चपेट में आ जाता है।

इस विषय पर डॉ. दीपक तुली कहते हैं कि ‘स्मोकिंग के मामले में ये रिस्क ज्यादा रहता है, क्योंकि जब कोई स्मोकिंग करता है या तंबाकू खाता है तो उससे कैंसर होने की संभावना काफी अधिक होती है। ट्रीटमेंट से मरीज ठीक हो सकता है, लेकिन मरीज ठीक होने के बाद भी धूम्रपान करता है तो उसे फिर से कैंसर हो सकता है। दूसरे कारणों से भी कैंसर फिर से शरीर में हो सकता है शरीर में दोबारा कैंसर होने को कैंसर की पुनरावृत्ति कहते हैं।’

कैंसर क्यों दोबारा हो सकता है?

दीपक तुली ने बताया कि कभी-कभी, उपचार के दौरान सभी कैंसर कोशिकाएं नष्ट नहीं हो पाती हैं। कुछ कोशिकाएं बच जाती हैं और बाद में फिर से बढ़ने लगती हैं। कुछ कैंसर कोशिकाएं उपचार के प्रति प्रतिरोध विकसित कर सकती हैं, जिससे वो उपचार से बच जाती हैं और फिर से बढ़ती हैं। उपचार के बाद भी, कुछ कैंसर कोशिकाएं नई कैंसर कोशिकाओं में बदल सकती हैं।

कैंसर की पुनरावृत्ति का पता कैसे लगाएं?

डॉ. तुली ने कहा कि कैंसर की पुनरावृत्ति का पता लगाने के लिए, आपको नियमित जांच और निगरानी की आवश्यकता हो सकती है, जैसे

  • रक्त परीक्षण
  • इमेजिंग स्कैन (एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई)
  • बायोप्सी

कैंसर की पुनरावृत्ति का इलाज कैसे किया जाता है?

कैंसर विशेषज्ञ दीपक तुली कहते हैं कि ‘कर्क रोग की पुनरावृत्ति का इलाज कैंसर के प्रकार, स्टेज और उपचार के इतिहास पर निर्भर करता है। इसमें सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी या अन्य उपचार शामिल हो सकते हैं। कैंसर की पुनरावृत्ति से डरना स्वाभाविक है, लेकिन आपको घबराने की जरूरत नहीं है।

अगर आप कैंसर से ठीक हो गए हैं, तो आपको अपने डॉक्टर के साथ नियमित रूप से संपर्क में रहना चाहिए और कैंसर की पुनरावृत्ति के बारे में उनके साथ बात करनी चाहिए। आपकी स्वास्थ्य सेवा टीम आपको कैंसर की पुनरावृत्ति के बारे में जानकारी प्रदान कर सकती है और आपके इलाज की योजना में आपकी मदद कर सकती है।’

विश्व तंबाकू निषेध दिवस सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि हम अब भी संभल सकते हैं. तंबाकू को ना कहकर हम न केवल खुद की जिंदगी बचा सकते हैं, बल्कि अपने परिवार, समाज और आने वाली पीढ़ी को भी एक स्वस्थ जीवन दे सकते हैं. काफी युवा इसे स्टाइल सिंबल के तौर पर लेते हैं, लेकिन स्टाइल में तंबाकू नहीं जिंदगी होनी चाहिए।

--Advertisement--
--Advertisement--

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

--Advertisement--

Popular

More like this
Related