प्रदेश उच्च न्यायालय ने 16 साल बाद दोषी ठहराते हुए सुनाया फैसला
शिमला – नितिश पठानियां
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने रिश्वतखोरी के जुर्म में पटवारी को वारदात के 16 साल बाद दोषी ठहराते हुए दो वर्ष के साधारण कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने पटवारी को जमीन से जुड़े कुछ कागज बनाने की एवज में 1000 रुपए की रिश्वत लेने का दोषी ठहराते हुए निचली अदालत के फैसले को पलट दिया था।
न्यायाधीश राकेश कैंथला ने यह सजा सुनाते हुए कहा कि दोषी पटवारी के पद पर तैनात था। उसने उन दस्तावेजों को तैयार करने के लिए रिश्वत की मांग की थी जिन्हें वह अपने आधिकारिक कत्र्तव्य के हिस्से के रूप में तैयार करने के लिए बाध्य था। ऐसे अपराधों को हल्के में नहीं देखा जा सकता।
हाई कोर्ट ने विशेष न्यायाधीश हमीरपुर के 17 अगस्त, 2010 के फैसले को कानून के विपरीत पाते हुए रद्द कर दिया था। अभियोजन पक्ष के द्वारा न्यायालय के समक्ष रख तथ्यों के अनुसार शिकायतकर्ता होशियार सिंह आईटीबीपी में कार्यरत था। वह दो अक्तूबर, 2008 को अपनी दो महीनों की वार्षिक छुट्टी पर अपने हमीरपुर जिला के गांव दलचेहड़ा आया था। उस समय उसके गांव में बंदोबस्त का काम चल रहा था।
इस दौरान उसकी भूमि की तकसीम नहीं की गई। उसने अपने वकील से इस बाबत बात की तो वकील ने कुछ जरूरी कागजात एकत्रित करने की सलाह दी, ताकि तकसीम का मामला दायर किया जा सके। होशियार सिंह जमाबंदी, ततीमा जैसे कागजात बनवाने के लिए दलसेहड़ा के तत्कालीन पटवारी सीता राम से 22 अक्तूबर को मिला।
पटवारी ने उसे कहा कि कागज तैयार करने का बहुत बड़ा काम है, जिसके लिए उसकी पूरी रात भी लग सकती है। वह अगले दिन दोपहर 12 से एक बजे तक कागजात तैयार करके रखेगा। पटवारी ने कागज तैयार करने की एवज में 1000 रुपए रिश्वत की मांग भी की।
शिकायतकर्ता ने इसे बड़ी रकम बताते हुए इनकार किया तो पटवारी ने कहा कि 1000 रुपए दिए बगैर कागज तैयार करने का काम पूरा नहीं होगा। हाई कोर्ट ने विशेष न्यायाधीश हमीरपुर के फैसले को त्रुटिपूर्ण पाते हुए उस फैसले को पलटने के बाद दोषी पटवारी को उपरोक्त सजा सुनाई।