बिलासपुर, सुभाष चंदेल
गोविंद सागर झील में वोट सहित डूबे युवक का चैथे दिन भी कोई पता नहीं चल सका है। हालांकि एक अच्छी खबर यह है कि प्रदीप की बोट मिल गई है, जिससे अब उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही प्रदीप का भी सुराग मिल जाएगा। हालांकि प्रदीप का शव न ढूंढ पाने से निराश है।
परिजनों का कहना है कि मोटरबोट का पता चल गया है लेकिन प्रशासन सहित बीबीएमबी के पास पर्याप्त उपकरण न होने से मोटरबोट को खींचा नहीं जा सका है। उनका कहना है कि हो सकता है कि प्रदीप का शव भी कहीं मोटरबोट के साथ फंसा हो लेकिन मोटरबोट पानी से बाहर निकालने के उपकरण न होने से आखिर यह कौन सा सर्च ऑप्रेशन चला हुआ है।
प्रदीप के परिजनों का यह भी कहना था कि गोबिंद सागर झील में मोटरबोट करीब 100 फीट पर फंसी हुई है, लेकिन बीबीएमबी के गोताखोर 50 फीट से नीचे नहीं जा रहे हैं। बुलाई गई एनडीआरएफ की टीम के गोताखोर की रेंज भी इतनी ही है तो ऐसे में मोटरबोट और प्रदीप के शव को आखिर कैसे निकालना संभव है यह उनकी समझ से परे है।
उनका कहना था कि झील में यह कोई पहला हादसा नहीं है लेकिन इतने लम्बे समय के बीत जाने के बाद भी प्रशासन व बीबीएमबी के पास उपकरणों तक की व्यवस्था का पास न होना सिर्फ दिल दुखाने वाली बात है। परिजनों का साफ कहना था कि बचाव तो दूर बल्कि मौत के बाद समय पर शव तक ढूंढ न पाने से वह पूरी तरह टूट चुके हैं।
प्रदीप की मां ने इतने दिन से निवाला तक ग्रहण नहीं किया है। उनका साफ कहना था कि आधुनिक उपकरणों से झील में से उनके बेटे का शव बाहर निकाला जाए ताकि कम से कम वह अपने बेटे की अंतिम संस्कार प्रक्रिया को तो पूरा करवा सकें।