मंडी – अजय सूर्या
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में जारी महाकुंभ में जहां लोग आस्था की डुबकी लगाने के लिए जा रहे हैं वहीं इस धार्मिक महोत्सव के दौरान देश के विभिन्न राज्यों की संस्कृति की स्मृद्ध झलक दिखाने का प्रयास भी किया जा रहा है। केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा देश भर की सांस्कृतिक स्मृद्धता को दर्शाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसी कड़ी में मंडी के कलाकारों को महाकुंभ में मंडी जनपद के लोकनृत्य लुड्डी की प्रस्तुति देने का मौका मिला।
माण्डव्य कला मंच के माध्यम से जिला के 15 कलाकारों ने प्रयागराज में 9 और 10 फरवरी को कलाग्राम संगम तट पर लोकनृत्य लुड्डी की प्रस्तुति देकर खूब वाहवाही लूटी। मांडव्य कला मंच के संस्थापक कुलदीप गुलेरिया ने जानकारी देते हुए बताया कि संस्कृति मंत्रालय के सांस्कृतिक केंद्र पटियाला के सौजन्य से उन्हें प्रस्तुति देने का यह मौका मिला। प्रयागराज महाकुंभ में मंडी जिला का यह इकलौता दल है, जो वहां प्रस्तुति देकर आया है। कुलदीप गुलेरिया ने बताया कि आज दिन तक मांडव्य कला मंच देश भर में लुड्डी की 3 हजार से अधिक प्रस्तुतियां दे चुका है।
माण्डव्य कला मंच के 15 कलाकारों में काजल, कनिका, श्रेया, गगनदीप, इशिका, हरिचरण, राजेश, मयंक, पंकज, भीष्म देव, आयुष, आर्यन, खुशहाल, तरुण और कुलदीप गुलेरिया शामिल रहे। कलाकारों ने विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागम में त्रिवेणी संगम पर आस्था की डुबकी भी लगाई। इसके लिए माण्डव्य कला मंच ने उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक एम फुरकान खान, सहायक निदेशक रवींद्र कुमार शर्मा और कार्यक्रम अधिकारी राजेश बस्सी का आभार भी जताया है।
मंडी जनपद का लोकनृत्य है लुड्डी
बता दें कि लुड्डी मंडी जनपद का लोकनृत्य है। पहले इसे नृत्य को हर शादी-समारोह या फिर अन्य सार्वजनिक कार्यक्रमों में नाचा जाता था। बताया जाता है कि मंडी जनपद का कोई भी कार्यक्रम इस नृत्य के बीना अधूरा रहता था और जब लुड्डी नाची जाती थी तो उसके बाद ही उस समारोह को पूर्ण माना जाता था। हालांकि आज बदलते परिवेश के साथ अब इसे नाचने की परंपरा भी काफी कम हो गई है। लेकिन आज भी कुछ संस्थाएं ऐसी हैं जिन्होंने इसे धरोहर की तरह संजो कर रखा है।