दिल्ली – नवीन चौहान
सडक़ पर गुजरते वक्त या ट्रैफिक जाम के वक्त आपने कई तरह के हॉर्न सुने होंगे, जो आपको इरिटेट करते हैं। और यह सिलसिला महज एक दिन का नहीं, बल्कि हर दिन का होता है। कभी पां पां…कभी पीं पीं, तो कभी बॉलीवुड गीतों की आबाज हॉर्न के रूप में सुनाई देती है।
बस-ट्रकों में तो गीतों वाले हॉर्न बजाए जाते हैं, लेकिन छोटी गाडिय़ों में लगाए गए हॉर्न इतनी ऊंचे होते हैं कि दूसरे का हार्ट फेल हो जाए। यही नहीं, आजकल तो बाइक्स में भी नौजवान ऐसे हॉर्न लगवा रहे हैं, मानों कोई हैवी व्हीकल लेकर जा रहे हों।
बहुत हो गया यह सब, क्योंकि अब ऐसा कोई भी हॉर्न नहीं बजेगा, जो दूसरों को तो परेशान करता हो और साथ ही ध्वनि प्रदूषण को भी बढ़ाता हो। केंद्र सरकार का परिवहन मंत्रालय अब एक नया कानून लाने जा रहा है, जिसमें इस तरह के हॉर्न नहीं बजाए जाएंगे, बल्कि हल्के और मधुर संगीत वाले हॉन होंगे।
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के बोल
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि वह एक ऐसा कानून बनाने पर विचार कर रहे हैं, जिससे गाडिय़ों के हॉर्न में केवल भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों की ध्वनि का ही इस्तेमाल हो, जिसे सुनकर एक सुखद एहसास हो। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि गाडिय़ों में भारतीय शास्त्रीय वाद्ययंत्रों के संगीत को हॉर्न के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
इनमें शहनाई, तबला, बांसुरी, वायलिन और हारमोनियम जैसी धुनों को शामिल किया जाएगा। बता दें कि भारत जापान को पीछे छोडक़र अमरीका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा वाहन बाजार बन गया है। सेंट्रल व्हीकल एक्ट 1989 के तहत अभी वाहनों में म्यूजिकल हॉर्न लगाना जुर्माने की श्रेणी में आता है। नियम के तहत हर गाड़ी में इलेक्ट्रिक हॉर्न होना जरूरी है। प्रेशर हॉर्न पर जुर्माना है।